खुद

खुद


जैतें खुद् नि, वा खुद ही नि छ

या त कुर्च-बुर्च छ या वेसुद छ


खुद छ त सुदबुध छ, जी जमाण छ

खुद नि ढुंग छ या बुद्ध भगवान छ

खुद मा खुद होंण धर्ती कु पर्वाण छ

खुद मा खुद नि शून्य छ आसमान छ


खुद मा खुद् छ त मनखि माणि च्वोळा छ

खुद नि त झाड़ी/पौंछि पिस्यों थौला छ

खुद छ त जीवन छलबळ सौंण भादो छ

बिगैर खुदो मनखि, ठडयों म्वळो मादो छ

कंयारी छै वा मयाळी छै, जर्रा नखर्यळी छै

सब्योंक सामणि नि ओंदी वा तति शर्मयाळी छै

क्वांसिली छै वा यकुली लुकि-लुकी रुवोन्दी छै

माँ माटी की पीड़ा वा औंशू दगड़ बगांदी छै


खुदs कोंकळी कळामळी मायो उलार छ

जिकुड़ी उबलणु ज्वालामुखी भभकार छ

खुदs यादों कुट्यरि ज्यू पांजी संमोण छ

हर्यों भर्यों बण मा खुदेड़ हिलांसे भौंण छ


खुद होण से खुदs, भिज्यां पिड़ाण्दी/बिणादी छै

क्या बाळो क्या ज्वान, बुड्यों तलक बिथांदी छै

ये खुदे क्वी उमर नि सब्योंक सांका पड़ी जांदी छै

खुद कु एसास दिलोंदी अपणुपन बिगांदी छै।


कुर्च-बुर्च - बुरी तरह से टूटयों

पर्वाण - सक्षम

पिस्यों - आटे का

क्वांसिली - कोमल, भावुक


© बलबीर राणा 'अड़िग'