गौं गौं की लोककला

फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में आलम सिंह पयाल की तिबारी /डंड्यळ में काष्ठ कला /नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : सी .पी.कंडवाल व पूर्व प्रधान फल्दाकोट बालम सिंह पयाल

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 125

फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में आलम सिंह पयाल की तिबारी /डंड्यळ में काष्ठ कला /नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , काठ बुलन ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 125

संकलन -भीष्म कुकरेती

पिछले अध्याय में सूचित किया ही गया है कि फल्दाकोट मल्ला कृषृ समृद्ध गाँव तो था ही 90 % लोग ब्रिटिश पुलिस विभाग में नौकरीरत थे और यह संस्कृति आज भी है। समृद्धि की अभिव्यक्ति होती है मकान की भव्यता। फल्दाकोट में भी समृद्धि तिबारियों , जंगलेदार मकानों में अभिव्यक्त हुयी है।

आज फल्दाकोट में आलम सिंह पायल की तिबारी - डंड्यळ की चर्चा करेंगे। दुखंड /तिभित्या मकान की पहली मंजिल पर यह डंड्यळ है जिसमे केवल तीन ही स्तम्भ या सिंगाड़ हैं, ये सिंगाड़ दो ख्वाळ /खोली बनाते हैं। व सिंगाड़ व मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में कोई विशेष नक्कासी /खुदाई नहीं हुयी है। केवल ज्यामितीय अलंकरण हुआ है। मकान की सीमेंटेड छत साक्षी है कि मकान 1960 के बाद ही निर्मित हुआ होगा। मकान में खोली /प्रवेश द्वार तल मंजिल में है उसके सिंगाड़ों में भी कोई उलेखनीय कल नक्कासी नहीं हुयी है। एक समय बिन नक्कासी के भी इस डंड्यळ की इलाके में हाम थी।

निष्कर्ष निकलता है कि फल्दाकोट (यमकेश्वर ) के आलम सिंह पायल के डंड्यळ में काष्ठ कला सामन्य किस्म की है व कोई विशेषता चर्चा योग्य नहीं है।

सूचना व फोटो आभार : सी .पी.कंडवाल व पूर्व प्रधान फल्दाकोट बालम सिंह पयाल

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020