गौं गौं की लोककला

रांसी (रुद्रप्रयाग ) में एक निमदारी में काष्ठ कला , अलंकारण , नक्कासी

सूचना

यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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@ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 168

रांसी (रुद्रप्रयाग ) में एक निमदारी में काष्ठ कला , अलंकारण , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ अंकन , नक्कासी - 168

संकलन - भीष्म कुकरेती

रांसी रुद्रप्रयाग का एक गाँव है जहाँ से तिबारी व निमदारियों होने की सूचना मिली है I इस कड़ी में रांसी गाँव में एक तिपुर मकान में निमदारी या जंगलों में काष्ठ कला , अलंकरण, नक्कासी पर चर्चा की जायेगी I

यह मकान तिपुर (तल +2 मंजिल ) दुघर , दुखंड है I दुखंड , दुघर या तिभित्या का अर्थ है एक कमरा बहर व एक कमरा अन्दर व इन दो कमरों के मध्य एक भीत (दीवाल ) I इस दो मंजिलों की निमदारी वाले मकान में तीन हिस्सों में काठ की नक्कासी पर ध्यान देना होगा – तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला –अलंकरण , पहली व दूसरी मंजिल में निमदारी के स्तम्भों व जंगलों में काष्ठ कला , नक्कासी व कहीं एनी स्थलों जैसे कमरों , खिडकियों के सिंगाड़ , मुरिंड आदि में काठ पर नक्कासी का जायजा लेना I

तल मंजिल में दो बड़े द्वार /ख्वाळ/खोह हैं एक ख्वाळ को तख्तों से बंद कर दिया गया है दूसरे ख्वाळ में सथार्ण दरवाजा है .

तल मंजिल से उपरी मंजिलों में जाने के लिए अंदरूनी सीढ़ियों हेतु मुख्य प्रवेश द्वार या खोली है I खोली के सिंगाड़ /स्तम्भ वास्तव में नक्कासी युक्त तीन उप त्रिगट सिंगाड़ो व मध्य में बिन नक्कासी के सीधे उप सिंगाड़ों /स्तम्भ से मिलकर बने हैं व दोनों ओर नक्कासी युक्त त्रिगट व सपाट त्रिगट सिंगाड़ खड़े हैं I नक्कासी वाले उप सिंगाड़ /स्तम्भ आधार में मोटा आयात आकार , फिर दो तीन कुम्भी आकार जिनके बीच कमल दल रु आभासी आकृतियाँ है व फिर सभी उप स्तम्भ सीधे हो पड़े (भू समांतर ) रूप में आकर उपर मुरिंड का निर्माण करते हैं I उपर मुरिंड में कुल 6 तल हैं I मुरिंड के मध्य में गणेश मूर्ति थरपी /स्थापित ) गयी है याने प्रतीकात्मक मानवीय अलंकरण का उदाहरण मुरिंड में उपस्थित है Iदरवाजे पर सपाट कटान आयत आकृति बनाते के अतिरिक्त दो अष्ट दलीय फूल खुदे हैं I अस्तु कहा जा सकता है मुरिंड में ज्यामितीय , वानस्पतिक व प्रतीकात्मक मानवीय अलंकरण अंकित हैं I

पहली व दूसरी मंजिल की निमदारी में काष्ठ स्तम्भों /खम्बों से निमदारी निर्मित हुयी हैI प्रत्येक मंजिल में 9 स्तम्भ /खम्बे हैं अत: भवन में ऐसे कुल 18 स्तम्भ हैं I प्रत्येक गोल स्तम्भ के आधार में दो फिट ऊँचाई तक दोनों ओर पट्टिका फिट की गयीं है व बाद में कुछ उपर जाने के बाद ड्यूल है उसके उपर बड़ा मोटा बड़े आयत का ड्यूल है फिर ड्यूल है व उसके उपर से स्तम्भ लौकी आकार अख्तियार कर लेता है व जब लौकी आकार र समाप्त होता है तो तीनों ड्यूल के वाही आकृतियाँ निम्रित है जो इची आधार के बाद ऊपर हैं I इन अंतिम ड्यूल के बाद स्तम्भ थांत (Cricket Bat Blade form ) आकृति अख्तियार रता है व थांत रूप में ही मुरिंड (शीर्ष ) की कड़ी से मिल जाता है I

स्तम्भ में आधार के पौण फिट , डेढ़ फिट व ढाई फिट ऊँचाई पर एक एक कड़ी (भूतल से समानंतर) मिलकर तीन रेलिंग निर्माण करते हैं I जो ख़ूबसूरत दिखते हैं I

बाकी जगह भवन में विशेष काष्ठ कला अंकित नही हुयी है I

मकान की छत टिन की है अत: मकान 1940 के बाद ही निर्मित हुआ ह्होगा I

निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि रांसी गाँव के इस खूबसूरत भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय (प्रतीक गणेश मूर्ती ) अलंकरण हुआ हैI

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020