रिवाज खतम

ब्यौला क बुबा," समधी जी , हमार यख रिवाज च कि जब तक ब्यौलिक बुबा पांच लाख नि धारल ब्यौला क बुबा क हाथ मा बरात भितर नि जांदी"।

ब्यौलिक बुबा," जी बढिया समधी जी ।पर हमार यख भि रिवाज च कि जब तक ब्यौलि क बुबा पांच सौ जुत नि मारल ब्यौला क बुबाक मुण्ड मा वैक ही बैं जुतान तब तक बारात भितर नि बैठाण । त हम तुमार रिवाज निभोला, अर तुम हमार रिवाज निभाण खुणि आपर बैं खुटक जुत पकड्वा " ।

( ब्यौला क बुबा," चलो रै बारात भितर लिजाव। आज बिटिक रिवाज खतम ' ।)

( लिख्वार:- विश्वेश्वर सिलस्वाल)