आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो साभार - श्री भीष्म कुकरेती जी की मैसेंजर वाल से ।🙏 🙏

कुमाऊँ अल्मोड़ा में स्थित जल स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे, पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण शैली विवेचना की इस कड़ी के अंतर्गत आज प्रस्तुत है कुमाऊँ मंडल में जनपद अल्मोड़ा के एक नौले की निर्माण शैली और पाषाण कला के बारे में।

जल संसाधनो से परिपूर्ण कुमाऊँ की इस पूण्य धरा पर अल्मोड़ा का यह नौला अपने शिल्प की दृष्टि से दर्शनीय है । जल संग्रहण के लिए मंदिरनुमा बावड़ी बनी हुई है। बावड़ी की छत कलात्मक रूप से सुंदर ढालदार बनाई गई है।इसकी दीवारों पर देवताओं और उनके उपासकों के चित्र अंकित हैं। इस नौले के विषय में प्राप्त जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा जनपद का यह नौला स्थानीय शिल्पकारों द्वारा ही निर्मित किया गया था। बेजोड़ कलाकारी के रूप में पानी के प्राकृतिक स्रोत को अद्भुत स्वरूप देने के लिए स्थानीय खदानों से प्राप्त सुडौल कटवे पत्थरों की सिल्लियों को हथोडी छेनी से तराशकर सुंदर आकर्षक नौले का निर्माण किया गया था। इसे स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए बाहर से एक मंदिरनुमा कमरे जैसा आकार दिया गया है। कमरे की चिनाई स्थानीय पत्थरों को तराशकर किया गया है। पत्थरों की इस चिनाई को फिनिशिंग देने के लिए इस पर सीमेंट का प्लास्टर किया गया है और सीमेंट प्लास्टर के ऊपर भी शानदार नक्काशी की गई है। ऊपरी छत सीमेंट सरिया के लैंटर से बनाई गई हैं।इस की पवित्रता को अक्षुण्य रखने के लिए इसकी सम्मुख दीवार पर बनी मोरी के अंदर जलदेवी की मूर्ति स्थापित है। दीवारों पर मंगलघट, कलशधारिणी गंगा(जलदेवी) .यमुना तथा सर्प, पक्षी की आकृतियों का प्रयोग भी हुआ है।

जलधाराओं के लिए इस पर दो युगल मंगारे लगाये गये हैं। बांयी ओर का मंगारा सिंह मुखी तथा दांयी ओर का मत्स्यमुखी है। दोनों ही जलदेवता विष्णु के अंशावतार के रूप में पूजनीय हैं।

इस पर सीमेंट का प्रयोग किया गया है इस हिसाब से यह जाहिर है कि इस नौले का यह स्वरूप ज्यादा पुराना नहीं है। परंतु ग्राम्य जीवन के लिए यह नौला कितना महत्वपूर्ण माना जाता रहा होगा यह इसकी शिल्पकला और इसके रखरखाव के तरीके से ही दृष्टिगोचर होता है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस जलधारा का निर्माण समयानुसार उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर बहुत ही सुनियोजित ढंग से किया गया है।

सूचना सहयोग - वरिष्ठ भाषाविद साहित्यकार श्री भीष्म कुकरेती जी ।🙏 🙏

फोटो साभार - श्री भीष्म कुकरेती जी की मैसेंजर वाल से ।🙏 🙏

आलेख :विवेकानंद जखमोला 🌾 शैलेश 🌾

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड 🙏