गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

हथनुड़ (बिछला ढांगू ) की बिष्ट परिवार की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : रश्मि कंवल , e -uttranchal .com

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 48

हथनुड़ (बिछला ढांगू ) की बिष्ट परिवार की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला - 27

दक्षिण पश्चिम गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर , डबराल स्यूं अजमेर , लंगूर , शीला पट्टियां ) तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 48

संकलन - भीष्म कुकरेती

हथनुड़ बिछला ढांगू (निकट सिलोगी , द्वारीखाल ब्लॉक , लैंसडाउन तहसील, पौड़ी गढ़वाल ) का एक उर्बरक , कर्मठ लोगों का गाँव है जिसके निकटवर्ती गाँव हैं , अमोला , दाबड़ , कुठार , तैड़ी , किनसुर आदि गाँव हैं व है।

उर्बरक व कर्मठ कृषकों के गाँव होने से समृद्ध गाँवों की श्रेणी में आता है हथनुड़ । किम्बदन्ती है कि गोरखा काल से पहले हथनुड़ जसपुर के तहत वाला गाँव था। भौगोलिक व तार्किक दृष्टि लोक कथा को सच नहीं मानती है । किन्तु बहुगुणा गुरुओं की पारम्परिक जजमानी हथनु ड़ में होने से साफ़ जाहिर है कि कभी भूतकाल में हथनु ड़ अवश्य ही जसपुर का हिस्सा रहा होगा। राजनैतिक व सामजिक सरंचना क्या रही होगी का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

हथनुड़ से अभी तिबारी की सूचना मिली है। बिष्ट परिवार की यह तिबारी अवश्य ही तब की है जब तल घर में मंजिल में गौशाला का रिवाज अधिक प्रचलित था। यद्यपि बिछला ढांगू में तल मंजिल में पशु व पहली मंजिल पर मानव का वास आज भी पस्चालन में है किंतु मल्ला ढांगू में अधिकतर गाँवों में गौशाला व घर अलग अलग ही हैं। हथ नुड़ के बिष्ट परिवार की यह तिबारी अधिकांश रूप से दाबड़ में विवरणित तिबारियों जैसे ही है।

मकान तिभित्या याने तीन दीवार अर्थात एक कमरा अंदर व दूसरा कमरा बाहर। पहली मंजिल के दो कमरों के न हो बरामदा निर्मित है व इनके बहार काष्ठ तिबारी निर्मित या बिठाई गयी है। तिबारी चार स्तम्भ वाली तिबारी है व ये चार स्तम्भ /सिंगाड़ /खम्भे /columns तीन विशिष्ठ /मोरी द्वार /खोळी बनाते हैं। किनारे के दो स्तम्भ दीवार से एक एक कड़ी (पट्टिका ) क ेमाध्यम से जुड़े हैं। जोड़ू कड़ी में वानस्पतिक या प्राकृतिक अलकंरण (कला ) उत्कीर्ण हुआ है। जोड़ू कड़ी के शीर्ष में संभवतया काष्ठ दीवारगीर (wood bracket ) लगे थे। व इन दीवारगीरों में प्राकृतिक , पर्तीकात्मक व् अमानवीय अलंकरण था।

प्रत्येक स्तम्भ पाषाण छज्जे के ऊपर बिछाए पाषाण देहरी (देळी ) में बिछे चौकोर पाषाण डौळ (Stone Base ) पर टिके हैं। स्तम्भ के कुम्भी /पथ्व ड़ अधोगामी कमल दल /पंखुड़ियां से बने हैं व जहां से अधोगामी तीखी है।

कमल दल शुरू होता है वहां स्तम्भ पर गोलाकार डीला /धगुल है (Round Wooden Plate ) . डीले या धगुल से उर्घ्वगामी कमल दल /पंखुड़ियां शुरू होती हैं। कमल दल के बाद फिर ढीला है व स्तम्भ मोटाई में कम होता जाता है (Shaft ) जहां से स्तम्भ कड़ी (Shaft ) सबसे कम मोटा होता है वहां पर डीले /धगुले हैं फिर उर्घ्वगामी कमल दल शुरू होते हैं यहीं से शाफ्ट की मोटाई बढ़ती ही व् ऊपर कमल दल है। जब कमल दल समाप्त होता है वहीं से स्तम्भ से अर्ध मंडल /अर्ध चाप /half arch पट्टिका शुरू होती है व दूसरे स्तम्भ की अर्ध मंडल क पट्टिका से मिलकर सम्पूर्ण तोरण / अर्ध मंडल बनाने में सक्षम है। तोरण अर्ध मंडल या arch तिपत्ती नुमा है हाँ मध्य की arch

चाप पट्टिका के बाहर किनारे पर फूल हैं व अनुमान लगाया जा सकता है कि इस कोई ब्रैकेट था व उसमे आम प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण हो सकता है।

स्तम्भ तोरण शीर्ष ऊपर भू समांतर पट्टिका है जो छत के आधार काष्ठ पट्टिका से मिलती हैं। शीर्ष पट्टिका में प्राकृतिक अलंकरण की पूरी गुंजायश है।

कहा जा सकता है हथनुड़ की यह तिबारी भव्य किस्म की रही होगी व पाने गाँव को व क्षेत्र को अवश्य विशिष्ठ पहचान रही होगी जैसे आज भी है।

सूचना व फोटो आभार : रश्मि कंवल , e -uttranchal .com

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020