पेय पल्लर

पेय पल्लर



दूनघाटी की संस्कृति में रचे-बसे पेय पल्लर का जरूर लें जायका, जानिए इसे बनाने का तरीका -दूनघाटी की खानपान संस्कृति में पल्लर का अपना विशिष्ट स्थान है। हालांकि, शहरी कल्चर में पल्लर की जगह धीरे-धीरे अन्य आधुनिक पेय पदार्थों ने ले ली है। लेकिन घाटी के गांवों में आज भी पल्लर लोगों के दैनिक खान-पान का हिस्सा है। शादी-समारोह के दौरान तो मेहमान पल्लर का आनंद जरूर लेते हैं। यह स्वादिष्ट ही नहीं, बेहद स्वास्थ्यवर्धक पेय भी है। अपनी पुस्तक 'उत्तराखंड की खान-पान संस्कृति' में विजय जड़धारी लिखते हैं कि पेट के रोगों की तो यह अचूक दवा है। आपने इसे एक बार पी लिया तो बार-बार पीने का मन करेगा।

मिट्टी के घड़े में गोबर के उपलों पर तैयार होता है पल्लर

पल्लर तैयार करने का भी अलग ही अंदाज है। इसके लिए मिट्टी के घड़े को साफ कर सुखा लिया जाता है। फिर थोड़ी-सी हींग, इलायची दाना, लौंग और काली मिर्च का पाउडर बनाकर उसका शुद्ध घी के साथ पेस्ट तैयार कर लिया जाता है। अब गोबर के कंडे को पूरा जलाकर उसके साबुत अंगारे के ऊपर इस पेस्ट को रख देते हैं। धुंआ उठने पर इसके ऊपर सुखाए गए घड़े को उल्टा रख दिया जाता है, जिससे धुआं घड़े में भर जाए। पेस्ट के पूरी तरह जलने पर घड़े के आधे से अधिक या तीन चौथाई हिस्से में कपड़े से छना ताजा मट्ठा भर देते हैं। अब पिसी हुई हल्दी और राई के दानों का पाउडर अच्छी तरह इस मट्ठे में मिला लिया जाता है।

छौंक लगाने का भी निराला अंदाज

अब शुरू होती है मट्ठे को छौंकने की प्रक्रिया। इसके लिए गोबर के उपलों के तेज अंगारों पर मिट्टी का गिलास या कटोरेनुमा बर्तन रख लिया जाता है। खूब गर्म (लाल) होने पर इस बर्तन में अंदाज से सरसों का तेल डाल लेते हैं। तेल के खूब गर्म होने पर उसमें तड़के के लिए पहले धनिया डालकर उसे भूरा होने देते हैं। फिर जीरा और लाल मिर्च डाली जाती है, जैसे ही तिड़-तिड़ की आवाज होने लगे, कटोरेनुमा बर्तन को चिमटे से पकड़कर सीधे घड़े में डालकर मट्ठा छौंक लेते हैं।

तीन दिन एयर टाइट बर्तन में रखा जाता है पल्लर

मट्ठे को छौंकने के बाद हिसाब से नमक-मिर्च मिलाकर घड़े के खाली हिस्से को पानी से भर लेते हैं। इसके बाद घड़े का मुंह ढकने के लिए उस पर गोल पेंदे वाले बर्तन का ढक्कन रखकर एयर टाइट कर लिया जाता है। इसके लिए घड़े और ढक्कन के जोड़ पर अच्छी तरह गीला आटा लगा लिया जाता है। तीन दिन तक बंद रखने के बाद चौथे दिन घड़े का ढक्कन खोला जाता है। फिर देखिए, तैयार है जायकेदार स्वादिष्ट पल्लर। खास बात यह कि पल्लर कई-कई दिनों तक खराब नहीं होता।

छौंकते हुए सावधानी रखना जरूरी

मट्ठा का छौंकने की प्रक्रिया थोड़ी रिस्की है। कारण, कटोरेनुमा बर्तन को घड़े में डालते ही आग की लपटें उठती हैं। इसलिए किसी गोल पेंदे वाले बर्तन से घड़े का मुंह ढक देना चाहिए। लेकिन, विपरीत दिशा से घड़े का मुंह खुला रखना जरूरी है, जिससे लपटें बाहर निकल सकें।