" कंदुड़क मशीन"

पिचासी सालूक नानक चंद काका तैं जब सुणैन कम ह्वै ग्या त बेटिन बुबा खुणीक डाक्टर तैं दिखेक कंदुड़क मशीन बणवै द्याई। पर काका वीं मशीन तैं लगांदु ही नि छाइ कि म्यार कंदुड़ स्यूंसाठ करदान अर आवाज भी भारी चितेंद। पर काका क अस्सी बरसक जनानि श्रीमती दुलारी काकी चांदी छाइ कि काका मशीन पैरु। किलेकि काकाक ईं कम सुणैणक बीमारीक कारण कत्ती बैर दूध वाऽल , सब्जी अर राशन वाऽल वापस चलि जांद छाई। काका तै घण्टी सुणेद ही नि छै।

एक दिन‌ काका अर काकी मा यीं ही बात पर झगड़ा ह्वै ग्याइ । तब काकी तैं एक तरकीब सूजि। काकीन बेटी मा बोलिक एक कंदुड़क मशीन हौर मंगै द्याई आफखुणि। जबकि काकी क कंदुड़ त साफ सुणदा छाइ। पर सिर्फ ये वास्त कि अगर मि मशीन कंदुड़ पर लगोलु त काका भी सिकासेरीन मशीन‌ लगाण शुरु कारल। लगा। काकीक तरकीब काम ए ग्याइ। काका न भी काकीक सकासैरी मा मशीन लगाण शुरु कारि अर तब वैक बाद काका तैं साफ सुणेन बैठी ग्याइ। लेकिन काकीन त काका भलैक वास्त नकली बैरा बणिक पत्नी सेवाभाव धर्म निभै ।