गौं गौं की लोककला

भोला दत्त बहुगुणा के भव्य भवन में उत्कृष्ट काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार जागेश्वर जोशी

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 110

भोला दत्त बहुगुणा के भव्य भवन में उत्कृष्ट काष्ठ कला , अलंकरण

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई , खोली , मोरी , काठ बुलन, छाज ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 110

(कला , अलंकरण पर केंद्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

रुद्रप्रयाग , काला , बहुगुणा लोगों का प्राचीन कल से ही रिस्ता रहा है। धमरिक स्थल रुद्रप्रयाग मेएक चट्टी थी तो बुगाणी से बहगुणा लोग या सुमाड़ी से कला आकर रुद्रप्रयाग लोग अपनी चट्टी निर्माण कर जीवन यापन करते थे। सेठ भोला दत्त की कथा भी तीर्थ यात्रा व्यापर की सकारात्मक , उत्साह वर्धक कथा है . प्रस्तुर भवन देखर भी उत्साह आता है कि कृषि के पश्चात व्यापर ही सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय है।

सम्प्रति , सेठ सतह भोला दत्त बहुगुणा की भव्य मकान में तिबारी , तल मंजिल में खोली (मुख्य अंदरूनी प्रवेश द्वार ) , तिबारी के मेहराब व मुरिन्ड /मथिण्ड में कला , अलंकरण का विवेचना की जाएगी।

खोली आम गढ़वाली खोली जैसी ही भव्य है। खोली में ही नहीं भोला दत्त बहुगुणा के मकान के अंदरूनी सीढ़ियों में भी नक्कासी हुयी है।

तिबारी में छह स्तम्भ हैं जो पांच खोली /खोळा बनाते हैं।

तिबारी के प्रत्येक स्तम्भ /सिंगाड़ में आधार पर अधोगामी कमल दल (उल्टा खिला कमल फूल ) , ड्यूल व उर्घ्वगामी कमल फूल (खिला हुआ सीधा कमल फूल ) है व शीर्ष में थांत से पहले भी यही क्रम है। याने तिबारी के छह स्तम्भों में कुल 12 अधोगामी कमल दल , 12 उर्घ्वगामी पदम् पुष्प व 12 ड्यूल (ring type wood plate ) हैं। इसी तरह स्तम्भ शीर्ष याने मुरिन्ड /मथिण्ड से थांत (bat blade ) की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं याने तिबारी में 6 थांत आकृतियां है। कमल पंखुड़ियों के ऊपर वानस्पतिक कला अलंकृत है , अंकित है।

6 स्तम्भ पांच खोला / खोली बनाते हैं और पांच मेहराब भी। मेहराब /arch तिपत्ति (trefoil ) आकर की हैं। मेहराब से बाहर की त्रिभुजाकार पट्टिका में फूल पतियों के अलंकरण अंकित हुए हैं। मेहराब के ऊपर उत्कृष्ट प्रतीकात्मक देव या कोई अन्य प्रतीक जड़ा है। शीर्ष कड़ी से शंकु आकर आकृतियां लटकी हैं।

मकान की खोली के सिंगाड़ों में प्राकृतिक बेलबूटों का नयनाभिरामी उत्कीर्णन हुआ है।

सीढ़ियों के तल पट पर भी कलात्मक नक्कासी हुयी है। सूचना अनुसार मकान के अन्य काठ भागों में देव आकृति (जैसे गणेश ) , मोर आकृतियां व अन्य धार्मिक मोर सांप आभासी आकृतियां भी उत्कीर्ण हुयी हैं।

दरवाजों पर अधिकतर ज्यामितीय अलकंरण उत्कीर्ण हुआ है

निष्कर्ष निकलता है कि नंद प्रयाग में सेठ भोला दत्त बहुगुणा के भव्य मकान में कायस्थ कला गढ़वाली शैली की है व उसमे ज्यामितीय , प्राकृतिक , मानवीय (पशु पक्षी) व प्रतीकात्मक (देव या नजर उतारने वाले प्रतीक ) प्रकार की कला अलंकरण उत्कीर्ण हुयी है। कला अपने उत्कृष्ट प्रीकास्ट में उभरी है।

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार जागेश्वर जोशी

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वास्तविकता में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020