मेरे द्वारा गढ़वाली कविता पाठ
गढ़वाल भवन में,आदरणीय मित्र पयाश पोखड़ा जी के पुस्तक लोकार्पण समारोह में । अगर पसन्द आये तो शेयर कीजियेगा।
आज हिंदी भवन में माँ हंसवाहिनी साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए आपकी मित्र "नादान'
"मैं बन भी जाऊं अमृता गर तुम इमरोज बन नहीं सकते '
जब मैंने पहली बार गढ़वाली रचना सुनाई Rawat Digital