गाँव की ओर चल पड़ता है
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
अब लापता सा हो गया हूँ मै
अब लापता सा हो गया हूँ मै
ना जाने कौन सा पल था खो गया हूँ मैं
ना जाने कौन सा पल था खो गया हूँ मैं
बुँदे भी गिरना अब बंद हो गयी हैं
बुँदे भी गिरना अब बंद हो गयी हैं
बरसात आँखों से जब अझोल हो गयी है
बरसात आँखों से जब अझोल हो गयी है
तप रहा है फिर से देखो नीला आसमान
तप रहा है फिर से देखो नीला आसमान
ना जाने हम से अब कंहा भूल हो गयी है
ना जाने हम से अब कंहा भूल हो गयी है
ठण्ड भी अब हम से दूर दूर जाने लगी है
ठण्ड भी अब हम से दूर दूर जाने लगी है
अपनों के रिश्तों में जब बेईमानी आने लगी है
अपनों के रिश्तों में जब बेईमानी आने लगी है
मर जाता हूँ गर्मियां जब आक्रमण करती है
मर जाता हूँ गर्मियां जब आक्रमण करती है
मेरे चीथड़े चीथड़े कर मुझे खूब धो देती है
मेरे चीथड़े चीथड़े कर मुझे खूब धो देती है
लापता को तब खुद का पता चलता है
लापता को तब खुद का पता चलता है
मन कनस्तर धर गाँव की ओर चल पड़ता है
मन कनस्तर धर गाँव की ओर चल पड़ता है
क्लिक करैं और पढ़ें
क्लिक करैं और पढ़ें