उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -58

उत्तराखंड परिपेक्ष में पद्या , माछाई/मछाई /छूँछ की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 16

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --58

उत्तराखंड परिपेक्ष में पद्या , माछाई/मछाई /छूँछ की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में जंगल से उपलब्ध सब्जियों का इतिहास -16

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --58

आलेख : भीष्म कुकरेती

English name-Watercress

Botanical name-Nasturtium officinale

उत्तराखंडी नाम - पद्या , माछाई/मछाई

हिंदी नाम - छूँछ , जल -इन्दुशूर , झुंगावटी

संस्कृत नाम - जलकुम्भी

नेपाली नाम -सिम रायो

माछाई /मछाई /पद्या उथले पानी में या उथले पानी के पास उगता है, जैसे कूल की मींडें या बहते पानी के पास। कई देसों में इसे उगाते भी है। माछाई /मछाई /पद्या 10 -60 cm तक पतली डंठल वाला कोमल लताधारी पौधा है।

माछाई /मछाई /पद्या मानव द्वारा अपनाई गयी सबसे पुरानी भाजियों /वनस्पतियों में से एक वनस्पति है। इसका स्वाद मर्चीला होता है।

माछाई /मछाई /पद्या का जन्मस्थान यूरेशिया है और शायद इस पौधे ने ईरान के रास्ते भारत में प्रवेश किया हो। उत्तराखंड में भी सदियों पहले यह वनस्पति प्रयोग की जाती रही हो

भारत में , यूनान व रोम में इसका औषधीय प्रयोग पुराना है. ईरानी सैनिक इसे ताकतवर्धि पौधा मानते थे।

माछायी का कमर्सियल उत्पादन इंग्लैण्ड में 1808 में शुरू हुआ।

माछाई /मछाई /पद्या अथवा जंगली सरसों का एनीमिया , बबासीर , त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग होता है।

माछाई /मछाई /पद्या की पत्तियों -डंठल से का साग व सूप या करी बनता है।

सब्जी बनाने का वही तरीका है जो आम हरी सब्जी बनाने का है । चुंकि माछाई /मछाई /पद्या कोमल होता है इसलिए इसका पाकने का समय कम होता है। पद्या का सूप भी banaya jata है और गार्निशिंग में भी प्रयोग होता है।

वास्तव में माछाई /मछाई /पद्याएक भुखमरी समय की सब्जी मानी जाती थी।

Copyright @ Bhishma Kukreti 13 /11/2013