''''दोहा'''''
''''दोहा'''''
(१) पैलि जमन समाज मा भला छा संस्कार ।
अचगाळ सब मिड़मिड़ा हुंयां बात न विचार ।।
(२) माया काया सुख संपदा जन बादलों कु छैळ ।
घड़ैक जिकुड़ि नजीक अर घड़ैक आंख्यूं सेळ ।।
(३) या जिंदगी शतरंज चा ख्यल्णु चा संग्सार ।
भागा लेख हूंद भयो कभी जीत कभी हार ।।
(४) बगत बगत की बात चा बगत बगत कु फेर ।
बगत छिरकी भाजि जांद अक्वैं थामी हेर ।।
(५) जो बीतिगे भूलि जा जरा ऐथर की सोच ।
पैलि भि कैळ सारु निदे अचगाळ जी कोच ।।
(६) जरा चलिगे जरा रैगे जो छैंच वो भि जाली ।
उमर बणि बथौं दगड्यों झणि कनै लमड़ाली ।।
(७) जिंदगी मा आणा रंदि ट्याड़ा म्याड़ा बाटा ।
जो घड़ि बीतिगे वी त रे अब समलौंण लाटा ।।
(८) अंयुं तुमरि शरण छौं परभु राखि दिंयां लाज ।
उपिरि गलती करंद भगवन नि हूणू नाराज ।।