गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में कोटनाला बंधु के जंगलेदार मकान की काष्ठ कला

सूचना व फोटो आभार : मदन मोहन , गौळा

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 36

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में कोटनाला बंधु के जंगलेदार मकान की काष्ठ कला

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में भवन काष्ठ कला - 2

शीला पट्टी संदर्भ में , गढवाल हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला - 2-

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 36

संकलन - भीष्म कुकरेती

पुरणकोट शीला पट्टी का एक समृद्ध गाँव रहा है जहाँ जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है व मिट्टी भी उपजाऊ है। गढ़वाल के समृद्ध गाँव में तिबारी व जंगलदार मकान या डंड्यळ वला तिभित्या मकान होना एक सामन्य बात थी। पुरण गाँव से उमा शंकर कुकरेती ने दो एक तिबारियों व मदन मोहन (गौळा वाले ) ने जंगलेदार कूड़ों की सूचना भेजी है।

संदर्भित जंगलेदार कूड़ /मकान भी कोटनालाओं मुंडीत का है व समकोण में बना है , एक कमरा समकोणीय दिशा में भी है।

जैसा कि प्रचलन था मकान दो मंजिला है व तिभित्या (तीन भीत /दीवार याने एक कमरा अंदर व एक कमरा बाहर ) है। तल मंजिल में बाह्य कमरों को दीवार से बंद न कर बरामदा हेतु खुला छोड़ दिया गया और पहली मंजिल में छज्जा व जंगला है। जंगला भी समकोणीय जंगला है। तल मंजिल से पहिले मंजिल पर जाने हेतु सीढ़ियां हैं व अंदर अंदर से प्रवेश नहीं है जो आम तौर पर प्रचलन था।

पहली मंजिल के समानांतर दिशा में 9 काष्ठ स्तम्भ (columns ) हैं तो खड़ी दिशा में दो स्तम्भ किन्तु समानंतर व खड़ी दिशा में एक स्तम्भ दोनों दिशाओं का कॉमन स्तम्भ है। याने पहली मंजिल पर कुल 11 काष्ठ स्तम्भ हैं। स्तम्भ छज्जे पर टिके हैं व छजजा काष्ठ दासों (टोढ़ी ) पर टिके हैं। स्तम्भों का आधार थांत के ब्लेड नुमा है किन्तु यह थांत नुमा आकृति दो पत्तियों को स्तम्भ आधार पर चिपका कर बना है। जहां से कड़ी पट्टियां समाप्त होती है तो वहां रेलिंग है। स्तम्भ छत की पट्टी या बौळ /पसूण से मिलते हैं.

पुरण कोट के कोटनाला बंधुओं के इस जंगलेदार मकान में भी नारायण दत्त कोटनाला के मकान की भाँति ही कोई कला दर्शन नहीं होते हैं किन्तु काष्ठ जंगल व स्तम्भों से सम्पूर्णता प्राप्ति हुयी व मकान पर एक भव्यता आयी है। कला दृष्टि से काष्ठ ज्यामितीय अलंकरण ही इस मकान की विशेषता है।

पुरण कोट के कोटनाला के इस जंगलेदार मकान का निर्माण काल भी लगभग 1950 ई के करीब है।

मकान को कला दृष्टि से तो नहीं अपितु भव्यता की दृष्टि से याद किया जा सकता है।

सूचना व फोटो आभार : मदन मोहन बहुखंडी , गौळा

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020