आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो साभार छायाकार:अंशुल जखमोला - अंश-

गटकोट हरिंडी (पौड़ी गढ़वाल) में स्थित जल स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे, पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण शैली विवेचना की इस कड़ी के अंतर्गत आज प्रस्तुत है गटकोट पट्टी मल्ला ढांगू जनपद पौड़ी गढ़वाल के हरिंडी तोक में निर्मित धारे की निर्माण शैली के बारे में।

गटकोट के हरिंडी तोक का यह अनमोल जलस्रोत बहुत ही प्राचीन है। पहले तो यह मात्र एक कच्चे नौले(रौ) की तरह था जिसमें पानी तालाब की तरह एकत्रित किया जाता था और गुठ्यल़(पशुपालक) गोठ में इसके पानी को लोटे गिलास या मालू/तिमला पत्तों की पुड़की की सहायता से वर्तन में भरकर ले जाते थे । और घसेनियां या ग्वैर और राहगीर अपनी तथा पशुओं की प्यास बुझाते थे। कालांतर में ग्रामीण विकास विभाग के सौजन्य से तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान श्री नारायण सिंह रावत के कार्य काल में इसे स्टील पाइप लगाकर और सीमेंट की थड़ी बनाकर धारे का स्वरूप दिया गया था। बरसात में आई बाढ़ से यह क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन ग्राम पंचायत स्तर से इसे पुनःनिर्मित किया गया है । धारे के नीचे पशुओं को पानी पिलाने के लिए सीमेंट की एक चरी बनाई गई है।धारे पर किसी तरह की खास कलाकृतियां नहीं है। कुल मिलाकर यह साधारण रूप से बना हुआ है।

आलेख :विवेकानंद जखमोला 🌾 शैलेश 🌾

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड 🙏

छायाकार:अंशुल जखमोला 🌾 अंश🌾