सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध सांस्कतिक फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी
अमाल्डू में उनियाल बंधुओं के तीन तिपुर भवनों में काष्ठ कला , अलंकरण
गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बखाई , मोरियों , खोलियों ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) -- 107
संकलन - भीष्म कुकरेती
डबराल स्यूं पौड़ी गढ़वाल में अमाल्डू एक महत्वपूर्ण गाँव है। भवन निर्माण शैली की दृष्टि से भी अमाल्डू गंगासलाण में अभिनव गाँव है। इस गाँव में अन्य गाँवों की तुलना में तिपुर (तल + दो मंजिल ) भवन अधिक हैं और लगभग सभी भवनों पर उनियालों की कुलदेवी राजराजेश्वरी तिपुर शैली दरबार भवन (देवलगढ़ ) का प्रभाव है।
प्रस्तुत तीन जंगलेदार तिपुर भवनों पर भी परोक्ष व अपरोक्ष रूप से राजराजेश्वरी दरबार (देवलगढ़ ) का प्रभाव है।
तीनों भवन दुखंड /तिभित्या हैं। तल मंजिल से पहली व दूसरी मंजिल तक जाने हेतु आंध्र ही अंदर रास्ता है व खोली मुख्य प्रवेश द्वार है। तीनों भवनों की खोली में मुरिन्डों में में अष्टदलीय पद्म पुष्प शोभित हैं। पहली व मंजिल में काष्ठ जंगले स्थापित हैं। सूचना अनुसार तीनों तिपुर भवनों के जनले के काष्ठ स्तम्भों में ज्यामितीय अलंकरण हिअ हिअ व कहीं भी प्राकृतिक या मानवीय अलंकरण उत्कीर्ण नहीं हुआ है।
अमाल्डू के अशोक उनियाल ने तीनों भवनों के मूल मालिकों या निर्माण कर्ताओं के नाम दिए उनका आभार किन्तु कुछ नाम इधर से उधर न हो जाय इसलिए प्रत्येक तिपुर के मालिकों का अलग अलग नाम नहीं दिया जा रहा है।
अशोक उनियाल ने - स्व . हीरा मणि उनियाल , स्व . राघवा नंद उनियाल , स्व देवकी नंद उनियाल व कालिका नंद उनियाल का नाम सूचित किया है।
अशोक उनियाल ने सूचना दी कि भवन मिस्त्री स्थानीय थे व स्व चित्र मणि व भाना राम भवन मिस्त्री काष्ठ कला निर्देशक भी थे।
आज तो तीनों तिपुर अपनी जीर्ण शरण वस्था में हैं किन्तु डबराल स्यूं के पुराने लोग आज भी कहते हैं बल कभी ये तिपुर अमाल्डू ही नहीं डबरालस्यूं की भी शान थे व लैंडमार्क थे। तीनों तिपुर में ज्यामितीय व कमल पुष्प अलंकरण ही हुआ है।
सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध सांस्कतिक फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी
सहयोगी सूचना : अशोक उनियाल अमाल्डू
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी. मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright@ Bhishma Kukreti