गौं गौं की लोककला

पुजालटी (जौनपुर , टिहरी ) में राम लाल गौड़ की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार :

प्रेरणा - राजेंद्र रावल , जाजरा

फोटो आभार – इंटरनेट , mallika virdi

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 196

मुनसियारी (कुमाऊँ ) में एक बाखली के एक हिस्से में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन व नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 196

संकलन - भीष्म कुकरेती

मुनसियारी (पिथोरागढ़ ) भारत का सीमावर्ती क्षेत्र है व यहाँ से दो तीन बाखलियों के हिस्सों की सूचना व फोटो मिली हैं I

आज मुनसियारी (कुमाऊँ ) में एक बाखली के एक किनारे के हिस्से में काष्ठकला , अलंकरण अंकन, नक्कासी की विवेचना होगी I

मुनसियारी (पिथोरागढ़ ) में प्रस्तुत बाखली में काष्ठ कला समझने हेतु तल मंजिल में खिड़की (मोरी ) व प्रवेशद्वार (खोली ) और पहली मंजिल में मोरी व खिड़की में काष्ठ कला का अध्ययन करना होगा I

मुनसियारी ( पिथोरागढ़ ) में यह बाखली भवन दुपुर है (तल मंजिल व पहली मंजिल ) व दुखंड या दुघर है I

तल मंजिल में एक कमरा है जिसके दरवाजे पर ज्यामितीय कटान हुआ है व कोई और प्रकार की कला नही दिख रही है I तथा सिंगाड़/स्तम्भ पर गढवाल की तिबारियों जैसे स्तम्भ पर कलाकृति या कुमाऊँ की बाखलियों के सिंगाड़ों/स्तम्भों में कलाकृति अंकित होता है के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं I कमरे के मुरिंड में कुछ प्रतीकात्मक अल्नक्र्ण के चिन्ह दिखाई de रहे हैं I

तल मंजिल की खिड़की में सिंगाड़/स्तम्भ युग्म में लगे हैं याने दो स्तम्भ /सिंगाड़ एक बड़ा स्तम्भ /सिंगाड़ निर्मित करते हैं I इस बाखली भवन की तल मंजिल की खिड़की का स्तम्भ /सिंगाड़ तीन स्तम्भों से मिलकर बना है I तीनों उप स्तम्भों में एक जैसी नक्कासी हुयी है I अधर पर उल्टे कमल फूल से कुम्भी फिर ड्यूल व फिट सीधा कमल फूल खुदे हैं I फिर प्रत्येक उप स्तम्भ में उपर उल्टा कमल , ड्यूल व उर्घ्वागामी कमल दल की खुदाई है I यह कुमाऊं –गढवाल के स्तम्भों /सिंगाड़ों में सामन्य कला अंकन है I युग्म सिंगाड़ जब मुरिंड /मथिंड मिलता है तो वहां मुरिंड में मानवीय प्रतीकात्मक, व प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण अंकित हुए है I

तल मंजिल से उपरी मंजिल में जाने हेतु बाहर कोई सीढ़ी नही है व मुनसियारी के इस भवन में कोई छ्ज्ज्जा ही है I प्रवेशद्वार से आंतरिक सीढियां हैं I

प्रवेशद्वार या खोली के दोनों सिंगाड़ वास्तव में में युग्म स्तम्भ हैं याने एक सिंगाड़ स्तम्भ दो उप सिंगाड़ों व एक मध्य कड़ी के योग से बना है I कुमाऊं की बाखलियों में स्तम्भ /सिंगाड़ की यह विशेषता है जो गढवाल के सिंगाड़ों /स्तम्भों से अलग हैं कि गढवाल में अधिकतर स्तम्भ / सिंगाड़ युग्म स्तम्भ /सिंगाड़ से नही बनते अपितु एक ही सिंगाड़ होता है जब कि कुमाऊं में स्तम्भ युग्म स्तम्भों /सिंगाड़ों के जोड़ से बनते हैंI प्रत्येक उप स्तम्भ /सिंगाड़ के आधार की कुम्भी अधोगामी (उलटा ) कमल दल से बनती है व फिर ड्यूल है व उसके बाद उर्घ्वागामी कमल दल (सीधा कमल फूल ) अंकित है I इसके बाद सिंगाड़ /स्तम्भ उपर की ओर रेखाकीय कड़ी में बदल जाते हैं व बहुरेखा युक्त कड़ी उपर मुरिंड (शीर्ष कड़ी व पट्टिका ) से मिल जाते हैं I मुरिंड पट्टिका /पटिला /कड़ी में दैव आकृति अंकित है (आध्यत्मिक प्रतीकात्मक कला अलंकरण ) I

प्रवेशद्वार पहली मंजिल तक पंहुचा है I प्रवेशद्वार के उपर पत्थर की छपरिका सजी है जो लकड़ी के दासों / ओढ़ी के उपर आधारित है I

पहली मंजिल में कला /अलंकरण विवेचना हेती झाँकने हेतु बनी मोरी पर gaur करना पड़ेगा . मोरी या झनकने की मोरी के स्तम्भ हु बहु प्रवेश द्वार की नकल हैं (युग्म स्तम्भ व मध्य में कड़ी दसे निर्मित एक बड़ा स्तम्भ) I मोरी के आध्हर कड़ी से उपर एक डेढ़ फिट पर रेलिंग है व हुक्के की नै जैसी कलायुक्त जंगला कसे हैं . इसके उपर कड़ी है व फिर झाँकने का खोल है या ढूड्यार है जो अन्दकर है I मोरी के मुरिंड में कोई विशेष कला देखने को नही मिली I

संक्षेप में मुनसियारी (पिथोरागढ़ , कुमाऊं ) के इस बाखली के एक हिस्से में ज्यामितीय , प्राकृतिक व प्रतीकात्मक (अध्यात्मिक या धार्मिक ) कला अलंकरण अंकित हुआ है व कला परिमार्जन उच्च स्तर का है I

अनुमान है कि बाखली का जीर्णोद्धार होम स्टे उद्येश से हुआ है I

सूचना प्रेरणा - राजेंद्र रावल , जाजरा

फोटो आभार – इंटरनेट , mallika virdi

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020