सादर सुप्रभात, नमस्कार प्रिय मित्रों...🙏🌹🌺
एक क्षणिका प्रस्तुत है.. समाद फरमाएं..
"कोरोना के बाद"
"कोरोना के बाद"
"रुतवा, रुआब, हुश्न,
क्या नहीं है मेरे पास ?
अदृश्य 'वायरस' ने,
सब भरम मिटा दिया !!
मैं भ्रम में था पड़ा कि,
मेरे अपने बहुत हैं,
बस एक 'कोरोना' ने,
सबको दूर कर दिया !!"