© नरेश उनियाल,

ग्राम -जल्ठा, (डबरालस्यूं ), पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड !!

सादर सुप्रभात, नमस्कार प्रिय मित्रों...🙏🌹🌺

एक क्षणिका प्रस्तुत है.. समाद फरमाएं..

"कोरोना के बाद"

"रुतवा, रुआब, हुश्न,

क्या नहीं है मेरे पास ?

अदृश्य 'वायरस' ने,

सब भरम मिटा दिया !!

मैं भ्रम में था पड़ा कि,

मेरे अपने बहुत हैं,

बस एक 'कोरोना' ने,

सबको दूर कर दिया !!"