गौं गौं की लोककला

कोठार (मल्ला ढांगू ) में एक विशेष तिबारी में काष्ठ कला ,अलंकरण (नक्कासी )

सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध संस्कृति फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 119

कोठार (मल्ला ढांगू ) में एक विशेष तिबारी में काष्ठ कला ,अलंकरण (नक्कासी )

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , काठ बुलन ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 119

संकलन - भीष्म कुकरेती

कोठार या कोठार कई गांव है यह कोठार कलसी के निकट याने मल्ला ढांगू (द्वारीखाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में एक नायब तिबारी के विषय में है। कलसी कोठार मल्ला ढांगू (द्वारीखाल ब्लॉक ) में मकान छत के सिलेटी पटाळों की खानों हेतु प्रसिद्ध गाँव था व यह क्षेत्र कख्वन सहित शिल्प हेतु भी प्रसिद्ध क्षेत्र रहा है।

जग प्रसिद्ध संस्कृति सरकारी फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी के सौजन्य से यह फोटो मिली है। तिवारी लिखते हैं कि उनके किसी मित्र ने कोठार से प्रिंट फोटो भेजा था। कोठार की यह तिबारी कई तरह से नायब तिबारी है , काष्ठ कला या नक्कासी दृष्टि से तो उत्कृष्ट किस्म की तिबारी है।

कोठार की इस तिबारी में ढांगू की अन्य तिबारी जैसे ही चार स्तम्भ हैं जो तीन द्वार /ख्वाळ /खोली बनाते हैं। स्तम्भ में ाहदर से लेकर ऊपर तक दो अधोगामी कमल दल (पंखुड़ियां ) , दो उर्घ्वगामी पद्म दल व चार ड्यूल हैं। कमल दलों (पंखुड़ियों के ऊपर पर्ण -लता अलंकरण हुआ है। स्तम्भ के ऊपरी वाले कमल दल के ऊपर एक चौखट / impost है जहां से स्तम्भ ऊपर की ओर थांत की आकृति ग्रहण करता है व दूसरे ओर से मेहराब के अर्ध चाप निकलते हैं।

मेहराब तिपत्ति (trefoil ( नुमा है व बीच में तीखा है व कई तह वाला मेहराब/चाप /तोरण है। मेहराब के बाहरी तह में लता नुमा पर्ण आकृति अंकन हुयी है।

मेहराब के बाहर एक त्रिभुजाकार पट्टिका है। पट्टिका के किनारे एक एक फूल उत्कीर्ण हुए हैं। एक फूल बहुदलीय पुष्प है तो दूसरा सूरजमुखी के फूल का केंद्रीय भाग (disk floret ) जैसी आकृति का पुष्प है।

मेहराब के बाह्य तह में भी पत्ती नुमा आकृति से शोभित है। मेहराब के सबसे ऊपर केंद्र के ऊपर एक छोटा आयत नुमा या सिलिंडर नुमा आकृति भी दिख रही है।

मेहराब के मुरिन्ड /मथिण्ड शीर्ष में भी पत्ती नुमा आकृति खुदी हैं।

मेहराब के ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड से लेकर छत आधार पट्टिका तक की पट्टिका में लतनुमा , पर्ण नुमा नक्कासी तो हुयी है हर मेहराब के मुरिन्ड के ऊपर वे चौखट में दो दो बड़े फूल की आठ पंखुड़ियां दृष्टिगोचर होते हैं

, स्तम्भ जहां से थांत (bat blade type ) की शक्ल अख्तियार करता है वहीँ ऊपर छत आधार पट्टिका से निकला से दीवारगीर (bracket ) का निचला भाग आता है। इस दीवारगीर के निचले भाग में मोर की गर्दन व चोंच आकृति का आभास देता है व मोर के शरीर में बहुदलीय सूरज मुखी फूल उत्कीर्ण हुआ है। मोर सिर ऊपर कंलगीं है जो ऊपरी दीवालगीर के निम्न भाग से मिलता है।

दीवालगीर का ऊपरी भाग कुछ कुछ डोली -पालकी की याद दिलाता है। इस आकृति के निम्न तल पर पाए हैं जैसे बैठक चौकी के पाए होते हैं। इसी आकृति में दो चिड़ियाँ भी खुदी दिख रही हैं या आभास देते हैं।

छत आधार पट्टिका से कई शंकु आकर लटक रहे हैं।

जहां तक तिबारियों के बढ़ई कलकारों का प्रश्न है ढांगू , उदयपुर , डबराल स्यूं में तिबारी बढ़ई स्थानीय नहीं हुए हैं अपितु मथि मुलुक (श्रीनगर से आगे , उत्तरकाशी गंगापार या चौंदकोट अथवा रामनगर ) से ही आते थे। कल्सी कोठार - सिलेटी रंग के पटाळ की खानों के लिए प्रसिद्ध रहा है व यहीं कलाकार भी पनपे हैं। इस मकान के ओड कख्वन के भी हो सकते हैं।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि कला दृष्टि से कोठार (मल्ला ढांगू ) तिबारी भव्य व उत्कृष्ट प्रकार की है। जो पर्ण -लता, गुल्म , पुष्प , पुष्प दल के ऊपर अलंकरण , चिड़ियाएं , शंकु, पाए आदि आकृतियों से सजी हैं। याने तिबारी में प्राक्रतिक , काल्पनिक, ज्यामितीय व मानवीय (चिड़िया) अलंकरण अंकित हुआ है। तिबारी कला दृष्टि से उत्कृष्ट श्रेणी की है।

सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध संस्कृति फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी

यह लेख भवन कला, नक्कासी संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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