गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

पुरण कोट (शीला ) में कोटनाला भयात की जंगलेदार तिबारियों में शानदार भव्य काष्ठ नक्कासी / कला

सूचना व फोटो आभार : उमा शंकर कुकरेती

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 39

पुरण कोट (शीला ) में कोटनाला भयात की जंगलेदार तिबारियों में शानदार भव्य काष्ठ नक्कासी / कला

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में भवन काष्ठ (तिबारी ) कला - 5

शीला पट्टी संदर्भ में, गढवाल हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला - 5

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 39

संकलन - भीष्म कुकरेती

पुरणकोट (शीला पट्टी ) की पुरातन समृद्धि इस गाँव की तिबारियों , जंगलेदार तिबारियों व जंगलेदार मकान में झलती है। कुछ मकान आज भी समृद्धि के द्योतक बने खड़े हैं कुछ उजड़ने लगे हैं। तिबारी काष्ठ अंकन क्रम में भाई उमा शंकर कुकरेती ने पुरणकोट से कुछ सूचना व फोटो भेजी हैं. इसी क्रम में सूचना व दो मकानों की फोटो ऐसी मिली है जो सिद्ध करती है कि पुरणकोट में तिबारियों के बाहर जंगले भी लगे होते थे और एक ही मकान में दो तिबारियां माय जंगले होते थे।

कोटनाला भयात के इन दो मकानों से साबित हो जाता है कि पुरणकोट में तिबारी व जंगला शैली ढांगू -उदयपुर , डबरालस्यूं , अजमेर से कुछ अलग तो था। मेरा दृष्टिकोण है कि चूंकि पुरणकोट बिजनौर से निकट है तो तिबारी व जंगले हेतु दो सिद्धांत निकलने की संभावना है एक अनुमान अनुसार बिजनौर से सल्ल्ली /मिस्त्री /बढ़ई पुरणकोट आएं हों या हो सकता है बढ़इयों ने बिजनौर की प्रसिद्ध हवेलियों से शैली व कला सीखी हो या हो सकता है बिजनौरहवेली शैली की नकल की व इस शैली का निरूपण पुरणकोट में किया गया हो। बिजनौर हवेली /किला शैली का प्रभाव अवश्य ही पुरणकोट के मकानों पर रहा हिअ .

जिन दो मकानों या जंगलेदार तिबारियों की सूचना मिली है उन मकानों को फोटो से साफ़ जाहिर है कि दो दो तिबारी एक मकान में हैं व दो तरफ जंगले भी हैं।

जहां तक मकान का प्रश्न है मकान तिभित्या या तीन दीवार या एक कमरा बाहर व एक कमरा अंदर की शैली में है। तलम मंजिल पर बाहर के कमरों को बंद कर दिया गया है और कमरे अलग अलग हैं। पहली मंजिल पर जाने हेतु तल मंजिल से एक खोली/प्रवेश द्वार है। किंतु पहली मंजिल पर दो तिबारी है जो दो दो कमरों के बरामदे पर बने है। काष्ठ तिबारी चार चार स्म्वभों से बनी है जो तीन तीन खोली बनाते हैं. स्तम्भ आधार पर शुभम करोति या शकुन का प्रतीकात्मक अलंकरण है फिर डीला हैं व ऊपर वानस्पतिक/प्राकृतिक अलंकरण है। तिबारी को खोलियों में तोरण नहीं अपितु तिबारी चौखट तिबारी हैं । तिबारी से बाहर छज्जों में मकान ओर काष्ठ जंगले हैं व जैसे कि पुरणकोट के एक अन्य जंगलेदार मकान के जंगल में हैं जंगले के स्तम्भ शीर्ष में काष्ठ तोरण हैं। जंगले के स्तम्भ आधार पर थांत pattika पर प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण है व ऊपर जाती कड़ी पर भी कई प्राकृतिक, va कट करने वाला अलंकरण हुआ है। मकान के पहली मजिल के जंगले पर कम से कम 16 स्तम्भ हैं जिन पर तोरण लगे हैं।

तल मंजिल के कमरों के दरवाजों पर ज्यामितीय अलंकरण ही दिख रहे है यहाँ तक कि प्रवेश द्वार या खोली पर भी ज्यामितीय अलंकरण दिख रहा है।

पुरणकोट के इन दो मकानों की तिबारी व उन पर लगे जंगले वास्तव में भव्य है और अलंकरण में भी कामयाब हैं।

सूचना व फोटो आभार : उमा शंकर कुकरेती

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020