गढ़वाळम संस्कृत नाट्य पर

गढ़वाळम संस्कृत नाट्य पर

भीष्म कुकरेती

सैकड़ों साल से चाहे वु क्वी बि कि कत्यूरी राज रै या शाह वंश राज राइ , संस्कृत उत्तराखंड की राजभाषा राइ तबि त शिलालेख अभिलेख अर ताम्र पत्र अधिकतर संस्कृत म इ छन। मध्य अंध युग से ब्रज भाषा दरबारों साहित्यिक ही ना राजाओं व आम जनताs नाथ गुरु भाषा बि राइ। ब्रज भाषा म मंत्र तंत्र साहित्य रचे गे।

बुनो मतलब च बल गढ़वाळम राज भाषा अर कर्मकांडी भाषा राइ अर राजाउंन समर्थन बि कार त गढ़वाळम संस्कृत साहित्य बि रचे गे। जख तलक संस्कृत ट्य परम्परा क सवाल च डा प्रेम दत्त चमोली हिसाब से बारहवीं सदी म राजा अशोक मल्ल न 'संस्कृत ग्रंथ नृत्याध्याय ' (नाट्य शास्त्र का ) की रचना करे।

यांक उपरान्त हम तै सैकड़ों साल तलक गढ़वाळम संस्कृत नाट्य साहित्य दर्शन नि हूंदन। यी बि सूचना उपलब्ध नी बल श्रीनगर म पंवार वंशी राजाओं दरबार म संस्कृत नाटक हूंद था या ना। टिहरी म सुदर्शन शाह क बगत या पैथर टिहरी म एक नाट्य गृह निर्मित ह्वे छौ जख हिंदी व कुछ गढ़वाली नाटक मंचित हूंद था। संस्कृत नाटक बारा म सूचना नी। असलम संस्कृत गढ़वाळम कर्मकांडी अर वैदों तलक इ सीमित छे अर आम जनता क संस्कृत ज्ञान नि हूण से संस्कृत नाट्य मंचन इन छौ जन तिमला फूल या बिरळs औंर दिखण ।

हमम जु बि गढ़वाळ म संस्कृत नाटक रचण या गढ़वाळयुं द्वारा संस्कृत नाटक रचना की सूचना उपलब्ध च वा संस्कृत नाटक लिख्युं सूचना उपलब्ध च।

सबसे पैल गढ़वालम रच्यूं संस्कृत नाटक की सूचना सुदर्शन शाह क दरबार म नाटक मंचन प्रस्तावना पर आधारित नाटक 'सभा भूषणम ' च। सभाभूषणम ' का रचयिता विशुन दत्त हरिदत्त छन (डा डबराल व डा चमोली ) नाटक म चार अंक , पांच मर्द अर नौ जनानी पात्र छन व नाटक कम विद्व्ता दर्शन अधिक च। कथा सर्वथा काल्पनिक अर गढ़वाल से असंबंधित च। वार्तालाप नीरस , लम्बा , जटिल अर पत्रों द्वारा याद कारण कठण इ न दर्शक या बचनेरुं कुण समजण बि कट्ठण च। नाट्य शैली सर्वथा क्लिष्ट च। हाँ ! 'डा चमोली अनुसार सभा भूषणम 'साहित्यिक दृष्टि से सफल कृति च अर अलंकार संयोजन प्रशंसनीय च।

संस्कृत का महान विद्वान् बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित संस्कृत नाटक 'नव्य -भारत - नाटकम' पराधीन भारत की दुर्दशा , अस्पृश्य समाज की दुर्दशा , शिल्पकारों अपमान वळि जिन्नगी अर पश्चमी सभ्यता बुरु प्रभाव नाटकीय शैली म चित्रित करदो। पांच अंकम विभक्त 'नव्य -भारत -नाटकम' म युक्त छ्व्ट नाटक च जु समाज सुधार की दृष्टि से महत्वपूर्ण नाटक च। सामयिक परिष्तिथियुं चित्रण भलो हुयु च। प्रथम अंक म 4 2 पद्य , 22 पद्य दूसर अंकम , तिसर अंकम 45 पद्य , चरों अंकम 59 पद्य छन अर गद्य बि च आधुनिक चित्रण का दगड़ी दगड़ शिव वंदना , श्री कृष्ण अवतार , बद्रीश अवतार संभावना सब कुछ छ.

संवाद सरल व सुंदर छन। वाक्य छूट छन। संवाद पात्रों अनुसार छन जन कि विदूषक अर नटी का संवाद प्राकृत म छन। नाटक कथा , संवाद , सामजिक उद्देश्य , संवाद , भाषा हिसाबन उत्तम नाटक च अर प्रसाद श्रेणी नाटक च।

पंडित मुरलीधर शास्त्री रचित तीन अंक वळ 'नर -नारायणाभ्युदयं ' नाटक बद्रिकाश्रम कथा संबंधित पौराणिक आधारित नाटक च. नाटक गीतेय अर गद्य -पद्य मिश्रित नाटक च। नाटकम शारदा वंदना , नर नारायण , देवता , ब्रह्मा , सःकवच , दैत्य , मुनि विष्णु , प्रजापति , प्रजा , पुरोहित , विदूषक , नारद आदि पात्र छन। पात्र पौराणिक हूण से बिंगणम सरल च।

गढ़वाल बिटेन संस्कृत तै सबसे अधिक योगदान दीण वळ शिव प्रसाद भारद्वाज न ' संगच्छ ध्वम -संवदध्वम ; मायापति ; अजेय भारतम , हूण पराजयम , कैसरि चक्रम ; साक्षात्कार ; अभिन्दनम ; नाटक रचिन। नाटकीय दृष्टि से नाटकीय तव्व भरपूर संगच्छध्वं -संवदध्वम देशभक्ति , एकता , भारतीयता आधारित नाटक च। मायापति म सामाजिक भावना का प्रति व्यंग्य युक्त एकाकी नाटक च। 1962 म चीन अतिक्रमण पर आधारित नाटक 'अजेय भारतम ' म युद्ध कु सजीव चित्रण च व ध्वनि रूपक च याने रेडिओ रूपक च।

हूण पराजय एक ऐतिहासिक नाटक च जो हूण आक्रमण , महाराजाधिराज यशोवर्मन की वीरता , शौर्य तै चित्रित करदो। डा चमोली हिसाबन नाटक भाषा , भाव , शैली कथावस्तु दृष्टि से बेहतर नाटक च. आजीविका समस्या संबंधित नाटक एक सामयिक संस्कृत नाटक च। नाटकीय दृष्टि से यु नाटक भाण च ेकी पात्र याने मोनोलोग शैली नाटक च।

डा पुरुषोत्तम डोभाल कु नाम संस्कृत साहित्य म जण्ययुं पछण्यं नाम च. पुरुषोत्तम डोभालन तीन दृश्यों एकांकी अभिनन्दनम नाटक रचे जु भारतम भ्र्ष्टाचार तै उजागर कर्ण म सक्षम नाटक च। संवाद , गति , उद्देश्यय प्राप्ति प्रशंसनीय च।

वामदेव विद्यार्थी लिख्युं नाटक ' नागेश ' दंत कथा पर आधारित नाटक च जखमा नागेश की अर्थहीनता व विद्व्ता का मध्य द्व्न्द दिखाए गे. नाटक नाटकीय च। रूपक परम्परा निर्भाव 'नागेश ' म दिखेंद '

जगदीश सेमवाल कृत ' याम न चिकेतकीयम ' नाटक पौराणिक कथा पर आधारित नाटक च जखमा पिता की आज्ञा से नचिकेत यम द्वार पॉंचद ार तीन वर प्राप्त करदो रूपक रूप म प्रस्तुत करे गे। नाटक शास्त्रीय दृष्टि से रचे गे अर नाटक म दर्शन आदि दृष्टिगोचर हूंद। भाषा संवाद छुट अर पात्रानुसार छन

जख तक संस्कृत नाटकुं मंचन सवाल च , गढ़वाली कृत संस्कृत नाटक कु मंचन की क्वी सूचना नी। ह्वे सकद च बल आकाशवाणी से प्रसारित ह्वे हो। मंचन हेतु भौत सी समस्या छन , जब गढ़वाली जनता गढ़वाली नाटक दिखणो इ तैयार नि हूंदी तो संस्कृत नाटक क्या द्याखाली। फिर इन कलाकार कखन लये जावन जो नाटक खिलण प्रेमी बि ह्वावन अर संस्कृत बि बोल साकन।


आभार - लेख डा प्रेम दत्त चमोली पुस्तक ' गढ़वाल की संस्कृत साहित्य को देन ' पर आधारित च