Traditional House wood Carving Art of Kaindul , Garhwal
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 181
संकलन - भीष्म कुकरेती
द्वारीखाल ब्लॉक में ढांगू पट्टी अंतर्गत , नयार नदी तीरे कैन्डूळ एक महत्वपूर्ण गाँव है। लोक कथा है कि सती सावित्री को यमराज ने कैन्डूळ में ही उसका पति जीवित कर लौटाया था। इसीलिए कैन्डूळ में हर वर्ष मेला लगता है।
कैन्डूळ में तिबारियां व निमदारियां थीं किन्तु सम्भवतया ध्वस्त कर नए भवन बन गए हैँ . रवि जुयाल से उनकी तिबारी की सूचना मिल पायी है।
जुयाल परिवार की तिबारी ढांगू या पड़ोसी गाँव वरगडी (चर्चा हो चुकी है ) से कुछ अलग है। कैन्डूळ में जुयाल परिवार की तिबारी ढांगू की अन्य तिबारियों जैसे चौखम्या -तिख्वळ्या कि जगह् तिखम्या -दुख्वळ्या है याने कैन्डूळ में जुयाल परिवार की तुबारी में तीन स्तम्भ व दो ख्वाळ हैं। कैन्डूळ के जुयाल परिवार का घर दुपुर -दुघर /दुखंड है। तिबारी पहली मंजिल पर है। तीनों सिंगाड़ /स्तम्भ एक जैसे ही हैं व पत्थर के छज्जे के ऊपर पत्थर के देहरी के ऊपर स्थापित हैं। प्रत्येक स्तम्भ देहरी में एक पत्थर डौळ के ऊपर स्थित है। स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल ने कुम्भी बनाई है जिसके ऊपर ड्यूल है फिर सीधा खिला कंडल फूल है व यहां से स्तम्भ लौकी का रूप धारण कर लेता है। जहां पर स्तम्भ सबसे कम मोटा है वहां अधोगामी (उल्टा ) कमल दल है फिर ड्यूल है फिर सीधा कमल दाल है जहाँ से स्तम्भ दो भागों में बंट जाता है। यहां से स्तम्भ का सीधा भाग चौकोर आयताकार आकृति ले ऊपर मुरिन्ड से मिल जाता है। जहाँ से स्तम्भ से आयत शुरू होता है वहीं स्तम्भ से मेहराब का आधा भाग भी शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के आधे बाहग से मिलकर पूरा मेहराब बनता है। मेहराब में तिपत्ति (trefoil ) कटान है.
मेहराब के बाहर त्रिभुजों के किनारे एक एक बहु दलीय फूल अंकित हुए हैं व प्रत्येक त्रिभुज में चिडयों व गुल्मों की नक्कासी हुयी है। मेहराब व स्तम्भ के ऊपर छह स्तरीय मुरिन्ड है जिन पर तरह तरह की नक्कासी हुयी हैं। मुरिन्ड के ऊपर छत आधार से नीचे एक चौड़ी काष्ठ पट्टिका है जिस पर फूल पत्तियों की नक्कासी हुयी है।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि कैन्डूळ (द्वारीखाल ) में जुयाल परिवार की तिबारी में ज्यामितीय कटान , प्राकृतिक व मानवीय तीनों तरह का अलंकरण हुआ है व तिबारी शानदार तिबारियों में गिनी जाएगी।
सूचना व फोटो आभार : रवि जुयाल कैन्डूळ
यह लेख भवन कला, नक्कासी संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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