उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -31

उत्तराखंड परिपेक्ष में कखड़/कखड़ी /खीरा का इतिहासउत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 7 उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --31

उत्तराखंड परिपेक्ष में कखड़/कखड़ी /खीरा का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 7

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास -31

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name- Cucumis sativus

Common Name- Cucumber

ककड़ी को हिंदी में खीरा कहते हैं।

ककड़ी गढवाल -कुमाऊं में महत्वपूर्ण जायज फसल है।

ककड़ी के बारे कहा जाता है कि ककड़ी का जन्म 10000 साल पहले हिमालय की ढलानों में हुआ था।

कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि बर्मा के हिमालय क्षेत्र में ककड़ी का जन्म हुआ तो कुछ का मानना है कि पश्चमी हिमालय में ककड़ी /खीरा का जन्म हुआ।

गंगा के तट पर ककड़ी का कृषिकरण की बात होती है।

भारत में 3000 साल पहले से ककड़ी का उपयोग होता आ रहा है। भारत से चीन में ककड़ी पंहुची। चीन से रेशम पथ से मिश्र , रोम ग्रीस आदि में पंहुची। चीन में ३ BC पहले ही ककड़ी उपयोग शुरू हुआ। वहीं से अन्य दक्षिण एशियाई देशों में ककड़ी प्रसिद्ध हुयी

यदि बर्मा में ककड़ी का जन्म होता तो अवश्य ही ककड़ी भारत के अन्य भागों से पहले चीन पंहुच जाती। .

इसका सीधा सधा अर्थ है कि ककड़ी का जन्म पश्चिमी मध्य हिमालय ( उत्तराखंड व हिमाचल ) में हुआ और गंगा नदी के किनारे कहीं कृषिकरण शुरू हुआ।

गढ़वाल -कुमाऊं में भी बर्मा की भाँती जंगली ककड़ी (इलाड़ु ) मिलती है।

चाणक्य (321 BC ), के अर्थ शास्त्र में ककड़ी का उल्लेख हुआ है। चरक संहिता व सुश्रुता में भी ककड़ी वरन मिलता है। कश्यप की रचनाओं (500 AD ) चिरभिता कहा गया है।

निघण्टु आयुर्वेदिक साहित्य जैसे भावप्रकाश , राज निघट्नु ओं में त्रापूसा नाम से वर्णन मिलता है है

ब्रिटिशः काल तक भाभर क्षेत्र को छोड़कर अन्य पहाड़ी क्षेत्रवासी ककड़ी का व्यवसाय नहीं करते थे।

ककड़ी का सलाद उपयोग होती आ रहा है पळयो में ककड़ी कुरस कर डालने के रिवाज उत्तराखंड में अभिनव है।

Copyright @ Bhishma Kukreti 5 /10/2013