गौं गौं की लोककला

कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: दिनेश कांडपाल

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 206

कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी - 206

संकलन - भीष्म कुकरेती

द्वारहाट (अल्मोड़ा , कुमाऊं ) से कई बाखलियों व पुराने शैली के भवनों की सूचना मिली हैं जो गवाह हैं कि द्वारहाट कुमाऊं संस्कृति का संवाहक रहा है। आज द्वारहाट क्षेत्र के कांडे गाँव में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली में काष्ठ कला पर चर्चा की जाएगी।

कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली दुपुर , दुघर मकान ही हाँ। कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली में काष्ठ कला विवेचना हेतु बड़े छाजों (झरोखों ) , खोली, छोटे मोरियों /खिड़कियों या छाजों /झरोखों व कमरों के स्तम्भ व दरवाजों पर टक्क लगानी पड़ेगी।

कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली की खोली तल मंजिल से ऊपर पहली मंजिल तक पंहुची है। खोली के दोनों सिंगाड़ /स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं। लघु स्तम्भ के आधार पर उलटा कमल दल आकार में कुम्भी है फिर ड्यूल है व फिर सीधा कमल दल है इसके बाद स्तम्भ कलायुक्त सीधा हो ऊपर खोली के मुरिन्ड के एक तह बन जाते हैं। सभी लघु स्तम्भों में एक ही जैसे संरचना मिलती है। खोली के मुरिन्ड या शीर्ष में देव आकृति स्थापित है। खोली भव्य है। मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका से शंकु आकृतियां लटक रहे हैं।

पहली मंजिल में खोली के ऊपरी भाग के दोनों ओर आजु -बाजू बड़े बड़े छाज /झरोखे स्थापित हैं और इन छाजों /झरोखों की काष्ठ कला प्रसंशसनीय है। छाजों के दोनों ओर के सिंगाड़ तीन तीन उप स्तम्भों के जोड़ से बने हैं। कला दृष्टि से छाज का प्रत्येक लघु स्तम्भ बिलकुल खोली के लघु स्तम्भों की नकल ही है। प्रत्येक लघु स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड।/शीर्ष की एक एक तह layer बनाते हैं। चाजों के मुरिन्ड चौखट हैं व कुछ तहों की कड़ियों में पर्ण -लता आकृति अंकन हुआ है। छज्जों /झरोखों के दरवाजों पर ज्याकीतीय कटान हुआ है।

कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली के बाकी हिज्जे याने तल मंजिल के कमरों में ज्यामितीय कटान छोड़ विशेष अंकन नहीं हुआ है। छोटी छाजों की सूचना उपलब्ध नहीं है।

निष्कर्ष निकलता है कि कांडे (कुमाऊं ) में भवानी दत्त कांडपाल की बाखली भव्य है व बाखली में तीनों तरह के ज्यामितीय , प्राकृतिक व माविय अलंकरण युक्त अंकन हुआ है

आज भवन की देखरेख दिनेश कांडपाल कर रहे हैं व उनके अनुसार भवन 1910 के लगभग निर्मित हुआ व स्थानीय शिल्पकारों ने ही निर्माण किया था।

सूचना व फोटो आभार: दिनेश कांडपाल

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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