फरसाडी (पलतीर क्लब)

कखि जाणु छा मि ब्याळि भा रे ।

कैकि खाणु छा मि गाळि भा रे ।।


भूकू तिसळु पराण हिटणु छा मी ।

वेकि लकदक नारंगी डाळि भा रे ।।


नारंगी घूळि घाळिक बाटा लैग्यूं ।

अब वैकि गाळि वेमै राली भा रे ।।


लणैं जड़ त सदनि मोहमाया हूंद ।

दीण खाणं गिच्ची समाळि भा रे ।।


जै कि भि जबरि भूक तीस बुझंद ।

वे खुणि त वी घड़ि बग्वाळि भा रे ।।


सुख दुख क जात्रा लगि च दुन्यम् ।

सब बट्वै कर्दि युंकि जग्वाळि भा रे ।।


✍🏻ल्यख्वार-

©®✍🏻वीरेंद्र जुयाल उपिरि

फरसाड़ी पलतीर क्लब

दिनांक- 19-05-020.