#जग्वाळि....
#जग्वाळि....
कखि जाणु छा मि ब्याळि भा रे ।
कखि जाणु छा मि ब्याळि भा रे ।
कैकि खाणु छा मि गाळि भा रे ।।
कैकि खाणु छा मि गाळि भा रे ।।
भूकू तिसळु पराण हिटणु छा मी ।
भूकू तिसळु पराण हिटणु छा मी ।
वेकि लकदक नारंगी डाळि भा रे ।।
वेकि लकदक नारंगी डाळि भा रे ।।
नारंगी घूळि घाळिक बाटा लैग्यूं ।
नारंगी घूळि घाळिक बाटा लैग्यूं ।
अब वैकि गाळि वेमै राली भा रे ।।
अब वैकि गाळि वेमै राली भा रे ।।
लणैं जड़ त सदनि मोहमाया हूंद ।
लणैं जड़ त सदनि मोहमाया हूंद ।
दीण खाणं गिच्ची समाळि भा रे ।।
दीण खाणं गिच्ची समाळि भा रे ।।
जै कि भि जबरि भूक तीस बुझंद ।
जै कि भि जबरि भूक तीस बुझंद ।
वे खुणि त वी घड़ि बग्वाळि भा रे ।।
वे खुणि त वी घड़ि बग्वाळि भा रे ।।
सुख दुख क जात्रा लगि च दुन्यम् ।
सुख दुख क जात्रा लगि च दुन्यम् ।
सब बट्वै कर्दि युंकि जग्वाळि भा रे ।।
सब बट्वै कर्दि युंकि जग्वाळि भा रे ।।
✍🏻ल्यख्वार-
✍🏻ल्यख्वार-
©®✍🏻वीरेंद्र जुयाल उपिरि
©®✍🏻वीरेंद्र जुयाल उपिरि
फरसाड़ी पलतीर क्लब
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दिनांक- 19-05-020.
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