गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

जड़सारी (उदयपुर ) में भोला दत्त बडोला का तीन मंजिले जंगलेदार भवन पर काष्ठ कला व अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : शांतुन बडोला ,प्रशांत बडोला की वाल , सोहन लाल जखमोला जसपुर

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 69

जड़सारी (उदयपुर ) में भोला दत्त बडोला का तीन मंजिले जंगलेदार भवन पर काष्ठ कला व अलंकरण

उदयपुर /यमकेश्वर ब्लॉक गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला -13

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 69

(लेख अन्य पुरुष में है अतः श्री , जी का प्रयोग नहीं हुआ है )

संकलन - भीष्म कुकरेती

जड़सारी वास्तव में ठांगर (यमकेशर ) का हिस्सा था। जड़सारी के बडोला परिवार ठांगर से ही आकर जड़सारी में बसे। ठांगर के बडोला परिवार ढुंगा से कर बसे थे। जड़सारी के वन व कृषि समृद्ध क्षेत्र है तो समृद्ध क्षेत्र होना लाजमी है। समृद्धि की पहचान भवन , भवन अलंकरण , पहनावे आदि में झलता है। जड़सारी के भवन साबित करते हैं कि यह क्षेत्र समृद्ध क्षेत्र रहा होगा।

जड़सारी में स्व भोला दत्त बडोला का तीन मंजिला जंगलेदार भवन इस बात का द्योत्तक है कि जड़सारी -ठांगर एक समृद्ध क्षेत्र है। जड़सारी के भोला दत्त बडोला के इस भव्य जंगलेदार तिपुर की प्रसिद्धि उदयपुर ही नहीं ढांगू , डबराल स्यूं , लंगूर तक भी फैली थी। भवन दुखंड /तिभित्या है व प्रत्येक मंजिल में कम से कम बारह कमरे तो हैं। ऊपरी मजिल में बड़ा बरामदा है जहां आवश्यकता अनुसार काष्ठ पट्टिकाओं के प्रयोग से कमरे बन जाते हैं। छत टिन की है।

भोला दत्त बडोला के इस भवन में पहली मंजिल व दूसरे मंजिल में काष्ठ जंगला फिट हुआ है। भवन के तीनो तरफ जंगला बंधा है व प्रत्येक मंजिल में कम से कम 40 काष्ठ स्तम्भ हैं। स्तम्भ के आधार पर दोनों ओर छिलपट्टियों से आधार को सुसज्जित किया गया है। स्तम्भ सपाट हैं याने ज्यामितीय कला ही दर्शित होती है। पहले व ऊपरी मंजिल के छज्जे भी लकड़ी के हैं , पट्टिकाएं व कड़ियों में कोई प्राकृतिक या मानवीय नक्कासी नहीं दिखाई देती है।

भवन की विशेषता इस भवन का बड़ा होना व 36 से अधिक कमरों का भवन होना है। भारीतय दर्शन शास्त्र वैशिषिकी में कहा गया है कि कोई वस्तु/मनुष्य को आप विशेष (Exclusive ) बना सकते हैं यदि आकर में बहुत बड़ा हो या बहुत छोटा /परमाणु तक। भोला दत्त बडोला के इस काष्ठ जंगलेदार भवन की विशेषता /विलक्षणता है कि यह भवन बड़ा है व इसमें ३६ से ऊपर कमरे हैं व 8 0 से अधिक काष्ठ स्तम्भ हैं।

भवन लगभग 1940 में निमृत हुआ होगा।

स्व भोला दत्त बडोला के पड़पोते प्रशांत बडोला की फेसबुक वाल से शांतुन बडोला ने फोटो भेजी व सोहन लाल जखमोला जसपुर वालों ने अन्य सूचनाएँ प्रदान कीं

सूचना व फोटो आभार : शांतुन बडोला ,प्रशांत बडोला की वाल , सोहन लाल जखमोला जसपुर

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