म्यारा डांडा-कांठा की कविता

आजौ मनखि

आजौ मनखि

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हैंका दुखौ मा अपडा सुख जपगान्द मनखि,

हैंका सुख देखी अपडा सुख बिसरान्द मनखि।

सज,शकल अर लत्ता कपडौं कु शौक वे थै,

पर अपडु सगोर सुभौ नि सजान्द मनखि।

अनलिमिटेड रीचार्ज अर फोनऽक बिना रै सकदू,

दिन भर फेसबुक अर व्हट्सैप फर टपरान्द मनखि।

अपडा स्वार्थ कु करद हथजुडै,

अर मतलब निकळ्द ही आँखा घुर्यान्द मनखि।

लोभ,मोह अर माया का जंजाळम जकड्यूँ च,

ये मोह माया का जंजाळ थै छडाँण नि चान्द मनखि।

Copyright: आकृति मुन्डेपी 🙏😊🙏😊