रामडा तल्ला (चमोली ) में स्व उमराव सिंह नेगी की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , काठ बुलन ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 122
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
रामडा (गैरसैण , चमोली गढ़वाल ) के स्व उपरान सिंह नेगी ब्रिटिश सरकार में बूंगीधार क्षेत्र में पटवारी थे व पुस्तैनी पधान भी थे। आज स्व उमराव सिंह नेगी के दुपुर /दुखंड /तिभित्त्या मकान में पहली मंजिल पर स्थापित तिबारी की कायस्थ कला , नक्कासी पर चर्चा होगी। स्व उमराव सिंह नेगी बूंगीधार क्षेत्र के पटवारी थे। नरेंद्र बारमोला ने सूचना दी है कि इस मकान हेतु तूण ही नहीं अपितु कारीगर भी बूंगीधार पौड़ी से रामडा आये थे।
पहली मंजिल में स स्थापित स्तम्भों वाली तिबारी में तीन खोली बनती हैं व किनारे के दोनों स्तम्भ दीवार से जोडू कड़ी से जुड़ते हैं। जोडू कड़ी में सर्पिल नुमा पर्ण लता अलंकरण हुआ है , अर्थात बेल बूटों की नकासी हुयी है।
स्तम्भ का आधार कुम्भी अधोगामी पुष्प दल ( downward lotus petals ) से बना है फिर ऊपर नक्कासी दार ड्यूल (ring type wood plate ) हैं व उसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल (upward lotus petals ) हैं व इसके बाद स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है याने स्तम्भ कड़ी रूप लेने लगता है। इस कड़ी भाग में भी ज्यामितीय कला से सुंदरता आयी है। जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां अधोगामी पद्म दल है फिर नक्काशीयुक्त ड्यूल है व फिर उर्घ्वगामी पद्म दल है। ध्यान रखने वाली बात है कि कमल दल /पद्म दल के ऊपर भी पर्ण -लता समान अलंकरण अंकन हुआ है। जहां उर्घ्वगामी पद्म दल समाप्त होता है वहां से सीधा ऊपर स्तम्भ का थांत (bat blade type ( शुरू होता है जो चौकोर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड से मिल जाता है। जहां से थांत बनना शरू होता है वहीं से तिबारी के अर्ध मेहराब /half arch भी शुरू होती है व दूसरे स्तम्भ के arch से मिलकर अर्धवृताकार मेहराब बनाता है। मेहराब में कोई तीखापन खिन नहीं है। मेहराब कई तल का है। मेहराब /तोरण के बाहर त्रिभुज में बेल बूटों का अलंकरण हुआ है। थांत व मुरिन्ड /मथिण्ड की पट्टियों में भी बेल बूटों का अंकन हुआ है। आश्चर्य है कि रामडा तल्ला के स्व उमराव सिंह नेगी की तिबारी में मेहराब के बाहर त्रिभुज में कोई पुष्प उत्कीर्ण नहीं हुआ है अन्यथा गढ़वाल की सभी तिबारियों में त्रिभुज आकृति में पुष्प अवश्य उत्कीर्ण हुए होते हैं।
रामडा तल्ला (चमोली ) के इस तिबारी में स्तम्भ के मध्य खवाळ खाली न होकर दो फोट ऊंचाई का पट्टा है जिसपर नयनाभिरामी ज्यामितीय अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि रामडा तल्ला (गैरसैण ) में स्व उमराव सिंह नेगी की भव्य तिबारी की दो मुख्य विशेषताएं सामने आयी हैं कि मेहराब के बाह्य त्रिभुजों में फूलों का अंकित न ाहों अवा स्तम्भ आधार में ख्वाळ को ढाई फिट तक पट्टी से भरण व उन पत्तियों पर जायमितीय अलंकरण /नकासी होना। तिबारी आज भी भव्य है व देखरेख के कारण सही सलामत व शान के साथ खड़ी है। एक और विशेषता ध्यान देने योग्य है की तू ण की लकड़ी बूंगीधार पौड़ी से आयी व काष्ठ शिल्पकार भी बूंगीधार पौड़ी के थे ।
सूचना व फोटो आभार : नरेंद्र प्रसाद बारमोला , रामडा
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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