जीवन साथी डॉट कॉम

जीवन साथी डॉट कॉम(एक खास दिन आज हमारी सगाई हुई थी)

कहते हैं जोड़ियां उपर वाला बनाता है । मैं भी इस बात से सहमत हूं । विवाह की उम्र होने पर मेरे लिए रिश्ते आने लगे । अपने आस पास कई टूटते रिश्ते देखे और मेरा दुर्भाग्य कहिए कि मेरा सामना छोटी उम्र में उस पुरुष जाति से हुआ जो पुरुष जाति पर कलंक थे। शराबी, बहशी, पुरुषों की कोई कमी न थी मेरे मोहल्ले में, आये दिन किसी न किसी महिला के शोषण की खबर आती । बचपन में कुछ गंदी सोच के पुरुषों से मेरा सामना हुआ । लिहाजा परिणाम ये निकला की मुझे कोई भी लड़का पसंद नहीं आता । धीरे धीरे वक़्त बीतता चला गया। मेरी बढ़ती उम्र को देखकर मेरी मां परेशान होने लगी । समाज, रिश्तेदारों और मां का दवाब बढ़ता गया । अब मेरी उम्र भी काफी हो चुकी थी तो कुछ रिश्ते मेरी बढ़ती उम्र की वजह से और कुछ मेरा नौकरी न करने के फैसले की वजह से जुड़ न सके । कभी कोई मुझे पसंद न आता तो किसी को मैं । जैसे जैसे वक़्त बीतता गया मां की चिंता बढ़ने लगी । एक दिन मां ने कहा मैंने जीवन साथी डॉट कॉम में तुम्हारा प्रोफ़ाइल डाला है अब तुम खुद देख लो पर इस साल शादी करनी ही है। मां रोज मुझसे पूछती कोई पसंद आया मेरा जवाब न में होता ।

एक दिन भाई और मैं बैठे थे तो हमे तीन प्रोफ़ाइल पसंद आए। मेरा भाई की पसंद के दो और मेरी पसंद का एक प्रोफ़ाइल ।

हमने तीनों से मिलने का फैसला किया। दो लड़के हम देख चुके थे उनमें से एक मां और भाई को पसंद था । पर मेरी जिद पर तीसरे प्रोफ़ाइल वाले लडके को भी देखने का निश्चय हुआ ।

मेरी पसंद के लड़के को देखने के बाद मां बोली इतना बड़ा परिवार किराए का मकान और गांव भी इतनी दूर की हमारा कोई लिंक नहीं । मां ने अपनी असहमति जता दी पर भाई मेरे पक्ष में था जब उसे कोई दिक्कत नहीं तो तुम क्यों मना कर रही हो। वह उठा लेगी हर जिम्मेदारी । विश्वास रखो । वैसे भी पहली बार उसने किसी लड़के के लिए हामी भरी है । पर हमने लडके वालों को कुछ जवाब नहीं दिया । शाम को लडके का फोन आया बोला मुझे पसंद हो आप। मैंने कहा हमे अभी वक़्त चाहिए थोड़ा सोचने का ।15 दिन बीत गए पर हमारी तरफ से कोई जवाब नहीं गया । मैं मां से बोली मां तुम हां कर दो यकीन मानो मैं खुश रहूंगीं । मां बोली कोई परेशानी हुई तो मुझे मत कहना । मैंने कहा ठीक है ।

लडके को सूचना दे दी ।

आजकल के जमाने में जब लोग झूठ की बुनियाद पर रिश्ते बना लेते हैं वहां पर इस तरह अनजान रिश्ते कितने सच होंगे ये संशय बना ही रहता है । पर मेरी जब लडके से बात हुई तो उसने सच्चाई से हर बात मेरे सामने रख दी । बहुत कम सैलरी है मेरी, साथ में जिम्मेदारियां है घर परिवार की । अपनी शादी भी खुद ही करनी है मुझे । दिल्ली में किराए का घर है । आप तो अमीर घर से हो आपको तो पता भी नहीं की बड़ा परिवार उसकी समस्याएं और गरीबी क्या होती है।

बस यही सब बातें उसकी मेरे दिल को छू गई । मैंने उससे कहा अगर मैं नौकरी न करना चाहूं तो वह बोला ये आपका अपना फैसला है मेरे लिए तो अच्छा ही है अगर आप घर परिवार संभालना चाहो । मैं जितना भी कमाऊंगा आपकी हर जरूरत पूरी करूंगा । वह सच बोलने वाला लड़का कोई और नहीं धीरू जी ही थे । जीवन साथी डॉट कॉम से मुझे मेरा जीवन साथी मिला ।

रामेश्वरी "नादान"