ढलती उम्र
बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
ढलती उम्र सताये है
ढलती उम्र सताये है
रातों को जगाये है
रातों को जगाये है
इस उम्र में ऐसी बेचैनी
इस उम्र में ऐसी बेचैनी
क्यों कर के जी आये है
क्यों कर के जी आये है
हर पल छूट रहा है
हर पल छूट रहा है
बस एकांत बोल रहा है
बस एकांत बोल रहा है
नैना भीगे पड़े हैं
नैना भीगे पड़े हैं
होंठों को सिले खड़े हैं
होंठों को सिले खड़े हैं
बंद कमरा बैचैन पड़ा है
बंद कमरा बैचैन पड़ा है
ना जाने मन कहाँ खड़ा है
ना जाने मन कहाँ खड़ा है
सुखदुख की वो अनुभूति
सुखदुख की वो अनुभूति
क्यों होने लगी अनछूती
क्यों होने लगी अनछूती
दूर अपनों से जाने लगा हूँ
दूर अपनों से जाने लगा हूँ
बिछोह डर सताने लगा है
बिछोह डर सताने लगा है
क्या आज जन्मदिन है मेरा
क्या आज जन्मदिन है मेरा
क्या मै उसे मनाने चला हूँ
क्या मै उसे मनाने चला हूँ
कटु सत्य है वो बस एक जीवन
कटु सत्य है वो बस एक जीवन
बस वो मुझे ललचा रहा है
बस वो मुझे ललचा रहा है
बहकावे में समय के आ गया मै
बहकावे में समय के आ गया मै
वो आया और चला जा रहा है
वो आया और चला जा रहा है
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