म्यारा डांडा-कांठा की कविता

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पायश पोखरा

कोंपळा, कुटमणा अर बौर अयां छन ।

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नै सालम पैलि कविता

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कोंपळा, कुटमणा अर बौर अयां छन ।

मौल्यार ल्हेकि दगड़्या घौर अयां छन ।।

हैंस्दा फूल,खिल्दा पात डाळि फौक्यूं मा ।

फ्यूंलड़ि का दगड़ा-दगड़ि हौर अयां छन ।।

ब्यौलि सि च प्योंलि,ब्योला च जन बुरांस ।

झांझि खशबू मा नशा का दौर अयां छन ।।

रंगमत ह्वैकि यो बसंत तुमथैं धै लगाणु चा ।

बल वो अपणा गौंमा बिरणा घौर अयां छन ।।

सकिना,ग्वीराळ,पयां थैं भि नचण दे जरा ।

पिंग्ळा छितराज दुन्यां की सौर अयां छन ।।

फुलु-फुलु मा भि छुवीं लगणि च फुलु की ।

छुयांळ फूल त 'पयाश' की डौर अयां छन ।।

© पयाश पोखड़ा 07012020


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