गौं गौं की लोककला

रैंस (द्वारीखाल ब्लॉक ) में भैरव दत्त बिंजोला की तिबारी व खोली में काष्ठ कला, अलंकरण

सूचनाव फोटो आभार : श्याम लाल बिंजोला , रैंस

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 102

रैंस (द्वारीखाल ब्लॉक ) में भैरव दत्त बिंजोला की तिबारी व खोली में काष्ठ कला, अलंकरण

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई , खोली ) काष्ठ कला , अलंकरण अंकन - 102

संकलन - भीष्म कुकरेती

पिछले अध्याय में नैल की लोक कलाएं में उल्लेख हो गया है कि मल्ला ढांगू में नैल -रैंस जुड़वां गाँव है जहाँ बिंजोली (चौंदकोट ) से बिजला बसे। रैंस से कुछ तिबारियों व जंगलेदार निम दारियों की खबर मिली है। प्रस्तुत तिबारी भैरव दत्त बिंजोला की तिबारी है जो आज शायद ध्वस्त हो गयी है। तिबारी बड़ी भव्य थिए व शयम लाल बिंजोला बताते हैं कि भैरव दत्त बिंजोला की तिबारी रैंस की शान थी पहचान थी व मल्ला ढांगू ही नहीं उत्तरी डबरालस्यूं , पश्चमी लंगूर में भी प्रसिद्ध तिबारी थी।

भैरव दत्त बिंजोला का मकान दुखंड /तिभित्या व तल व पहली मंजिल का था है व तल मंजिल में खोली है तो पहली मंजिल में भव्य तिबारी स्थापित हुयी है। पाषाण छज्जा ढांगू के आम छज्जों से कम चौड़ा है।

खोली के काष्ठ सिंगाड़ों /स्तम्भों व खोलीदार /मेहराब युक्त मुरिन्ड /मोर में प्राकृतिक उत्कीर्णन हुआ था।

भैरव दत्त बिंजोला की तिबारी भी चार स्तम्भों /सिंगाड़ों की है व ऊपर मोर /मुरिन्ड में चाप है। स्तम्भ दीवाल से बेल बूटे की कलायुक्त कड़ी से जुड़े हैं। स्तम्भ का आधार /ड्यूल से शुरू होता है व अधोगामी कमल दल से कुम्भी बनता है , अधोगामी कमल दलों के ऊपर डीला /धगुल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी (ऊपर जा हुआ) कमल दल हैं और यहाँ से स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है। कमल पंखुड़ियों के ऊपर पत्तियों जैसे अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है (प्राकृतिक अलंकरण ) . जहां स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां से नक्कासीदार अधोगामी कमल दल है व फिर डीले /ड्युले /ringed wood plate हैं और उर्घ्वगामी कमल दल है व वहीं से स्तम्भ का थांत (bat blade type ) शुरू हो सीधा मथिण्ड से मिल जाता है। यहीं से कमल दल के बगल से तोरण।/arch /चाप शुरू होता है , चाप /तोरण /मेहराब बहुतलीय हैं। प्रत्येक मेहराब इ ऊपर किनारों पर त्रिभुजाकार जालीनुमा बेल बूटों सस्ज्जित है व दो बड़े बहुदलीय फूल (चक्रनुमा ) भी अंकित है अतः ऐसे कुल 6 फूल हैं। मेहराब के ऊपर आयताकार तीन चार पट्टियां )मथिण्ड ) हैं जिन पर प्राकृतिक अलकंरण उत्कीर्ण हुआ है।

मथिण्ड पट्टिकाओं के ऊपर एक चुआड़ी अलंकृत पट्टिका है जो छत आधार पट्टिका से मिलती है। छत आधार पट्टिका से शंकुनुमा आकृतियां लटकी हैं।

छत आधार पट्टिका लकड़ी के दासों /टोड़ी पर आधारित हैं। दासों के अगर भाग में ज्यामितीय अंकन हुआ है। तिबारी में कहीं भी मानवीय (पशु , पक्षी , देव आकृति ) अंकन नहीं दिखा हिअ

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि भैरव दत्त बिंजोला की भव्य तिबारी व खोली थी जिसमे प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण हुआ है व आमनवीय अलंकरण नहीं हुआ है

सूचना व फोटो आभार : श्याम लाल बिंजोला , रैंस Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020