गढ़वाली में स्वाद बोधक शब्द
अमलाण्याँ- (अम्लीय स्वाद)
अलोणो- (नमक रहित स्वाद)
असवादि- (स्वादहीन)
उगळाण्याँ/अवांण- (किसी पीतल या ऐसी धातु के बर्तन पर रखे खाद्य पदार्थ से आने वाला स्वाद)
कच्याण- (किसी अधपकी या कच्ची वस्तु का स्वाद)
कड़ो- (कड़वा)
कळताण्याँ- (खराब स्वाद)
कौंकळ्या- (कच्ची या गरम अरबी का स्वाद)
खट्टो- (खट्टा)
गळताण्याँ- (बुखार के कारण या अनिच्छा से खाने पर बिना मिर्च मसाले से बना स्वाद)
घळताण्याँ- (फीका, अत्यंत कम मीठा)
चंगचंगो- (चबाने में कठिन हो)
चटपटो- (चटपटा)
चलमलो- (वसायुक्त स्वाद)
चरचरो- (तीखा)
चिलखाण्याँ- (कच्चे तेल का स्वाद)
टटमरो- (कच्ची हरड़ का स्वाद)
तीतो- (कड़वा)
तेलाण्याँ- (तैलीय स्वाद)
दुधाळो- (दूध के स्वाद वाला)
दौंदाण्याँ- (भिगोकर पीसी गई दाल से बने कम पके साग से आने वाला स्वाद)
पीरु/पिपराण्याँ- (प्याज या मूली खाने पर लगने वाला तीखा स्वाद)
फकफको- (जो कठिनाई से निगला जाए)
फसफसो- (फीका)
बरबरो- (तीखा, मिर्चयुक्त)
मरचाण्याँ- (मिर्च वाला)
मळमळो- (स्वादहीन)
मिट्ठु- (मीठा)
लोणकिट्ट- (अत्यधिक नमकयुक्त)
ल्वण्याँ- (नमकीन)
(साभार- हिंदी गढ़वाली अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल, संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)