विश्वेश्वर प्रसाद
"आखिर भगवान ही आपरु"
" हम इतने निष्ठुर तो न थे"
" आजक किस्सा- आजक कहानी"
सुंदरु भैजी," कैं बुढड़ीक
रिवाज खतम
अचगाल
आजक खबरसार
" क्या बुन्न तब "
" प्रसाद जब स्वयं भगवान श्री कृष्ण चट कर जाते थे"
" मास्टर जी- मेरे प्रेरक"
" आखिर भगवान ही अपना "
" एक दिन का फ्लैट ऐजेन्ट"
"' तिहत्तर साल का जवान "
"यादों के झरोखे से"
"संस्कार"
"स्वीट ड्रीम्स "
" भालू से मुलाकात "
"पहला प्यार"
पाठक
माँ की आगोश में"
" नई भाभी जी"
" कंदुड़क मशीन"
उत्तराखंड के कलम वीर