आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

सूचना सहयोग एवं छायाचित्र साभार :-श्री दिनेश चौकियाल जी।

देवधार(रतूड़ा) चंडिकामंदिर (रुद्रप्रयाग ) में स्थित जल स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण #शैली विवेचना की इस कड़ी के अंतर्गत आज प्रस्तुत है ग्राम रतूड़ा देवधार जनपद रुद्रप्रयाग चंडिका मंदिर में स्थित धारे की निर्माण शैली के बारे में।

देवधार रतूड़ा का यह अनमोल जलस्रोत बहुत ही प्राचीन है। जिसे स्थानीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित किया गया था । धार बनाने हेतु पाषाण उत्कीर्ण कला के साथ-साथ चिनाई कला(पगार चिनाई ब्यूंत) अपनाई है . सबसे नीचे बड़े-बड़े पत्थरों से मजबूत नींव रखी गई है उनके ऊपर तहों /स्तरों में छोटी-छोटी प्रस्तर पट्टिकायें इस तरह से चिनी गयीं हैं कि विशेष स्थान से धारा बनाने के लिए ढलान निर्मित हो सके। धारे हेतु पगार चिनाई बेहतरीन ढंग से की गई है। इसे एक आकर्षक धारे का स्वरूप देने के लिए स्रोत के मुख पर पत्थर की सिल्ली को गढकर सुंदर नक्काशीदार अश्वमुखी धारा लगाया गया है। स्रोत की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए इसे ऊपर से पत्थरों से ढका गया है और केवल मंगारे की ऊपरी दीवार पर मजबूती तथा फिनिशिंग देने हेतु सीमेंट प्लास्टर किया गया है। धारे के बगल से दोनों ओर भी पत्थरों से सुरक्षा दीवार बनाई गई है।सुरक्षा दीवार की मजबूती के लिए इसे व्यवस्थित तरीके से चिना गया है और सीमेंट ग्राउटिंग से ढका गया है। धारा के नीचे पत्थरों की चौकोर पठालें रखी हुई हैं जिससे कि गिरती धारा से भू कटाव न हो और वर्तन रखने के लिए ठोस आधार भी उपलब्ध हो जाए।जलस्रोत के आगे फर्श पर साधारण क्षेत्रीय पत्थरों की छोटी छोटी पठालें लगी हैं और आगे से पशुओं के पीने लायक पानी एकत्र करने के लिए हल्की सी पत्थरों की मेंड बनी हुई है।

उत्तराखंड में प्रचलित धारा निर्माण शैलियों 1-आदमकद(लगभग 5-6फीट ऊंचा), 2- मध्यम धारा(3-4फीट)व सामान्य धारा(2फीट लगभग) में से यह आदमकद (जिसमें आदमी खड़े-खड़े ही नहा सके) धारा है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पूर्वजों द्वारा संजोई गई यह अनमोल धरोहर तत्कालीन प्रचलित निर्माण शैली का एक अद्वितीय उदाहरण है।

प्रेरणा स्रोत :-श्री भीष्म कुकरेती जी ।

सूचना सहयोग एवं छायाचित्र साभार :-श्री दिनेश चौकियाल जी।

आलेख :विवेकानंद जखमोला- शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड