गढ़वाली में लोक व्यवसाय सम्बन्धी शब्दावली
अन्वाळ- (बकरी चुगाने वाला)
अलखणियां- (अलख-अलख पुकारने वाला)
औजी- (वादक, दर्जी )
कंडेर- (कंडी पर आदमी या बोझा ले जाने वाला)
कुमार- (कुम्हार, मिट्टी के बर्तन बनाने वाला)
कोळि- (तिलहन से तेल निकालने वाला)
खड्वाळ- (भेड़पालक)
खेत्वाळो- (खेत मज़दूर)
गळदार- (पशुओं का व्यापार करने वाला)
गारुड़ि- (तांत्रिक)
ग्वेर/ग्वीर- (गाय चराने वाला)
घड्याळ्या /जागरी / धामी- (डौंर-थाली बजाकर भूत एवं देवता नचाने वाला)
घसारि- (घास काटने वाली)
घोड़ीत- (घोड़े वाला)
चिरानी- (आरी से लकड़ी चीरने वाला)
चुनार- (काष्ठ शिल्पी)
टंडेल- (प्रधान श्रमिक)
टमोटा- बर्तन बनाने वाले
डंड्यौर- (डांडी ले जाने वाला)
डळ्यो- (गाकर माँगने वाले)
डोल्यौर- (कहार, डोली ले जाने वाले)
धयाणी- (सिर पर देवता रखकर भविष्य कथन करने वाले)
धुनार- (नदियों पर रस्सियों के पुल बनाकर लोगों को नदी पार कराने वाले)
धूणा- (बालू धोकर सोना निकालने वाले)
धौंस्या- (डमरू की तरह का एक वाद्य यंत्र 'धौंसी' बजाने वाला)
पंडा- (तीर्थस्थल पर पूजा कराने के हकदार)
पंडित- (ब्राह्मण)
पऽरि- (पहरेदार)
पणतरु- (पानी में तैराने वाला)
पणसारु- (पानी ढोने वाला)
पतरोळ- (जंगल का चौकीदार)
पधान- (गाँव का मुखिया)
पस्वा- (वह व्यक्ति जिस पर देवता अवतरित होता है)
पालसी- (चरवाहा)
पासवान- (फसल की देखभाल करने वाला)
पुज्यारि- (पुजारी)
पुछ्यारु- (भविष्यवक्ता, जिससे भविष्य या देव दोष के विषय में प्रश्न पूछे जाएँ)
पोथल्या- (पक्षियों को पालने वाला)
बंदर्वाळो- (खेतों से बंदर भगाने वाला)
बंदुक्या- (बंदूक चलाने वाला)
बक्या/नवर्या- (देव आवेश में भविष्य कथन करने वाला)
बखर्वाळो- (भेड़-बकरी चुगाने वाला)
बामण/बिर्त्वान- (ब्राह्मण, बिर्ति करने वाला ब्राह्मण)
बाद्दि/मिरासी/बेड़ा- (गाँव-गाँव जाकर नाचने-गाने वाले)
बैद- (वैद्य)
बोझि- (बोझा ढोने वाला)
मंगळेर- (मांगल गाने वाली स्त्रियाँ)
मछोई- (मछुआरा)
मजुरिदार- (मजदूर, श्रमिक)
मड़ापति- (मठाधिपति, किसी मठ का प्रधान)
मालिया- (माला बनाने वाला)
रस्वाळ- (रसोइया)
रुड़्या- (रिंगाल का बुनकर)
रौळ- (रावल, बड़े मंदिरों के प्रधान पुजारी)
ल्वार- (लुहार)
हळ्या- (हल चलाने वाला)
हुड़क्या- ('हुड़का' बजाने वाला)
सल्लि- (शिल्पी, मिस्त्री, कारीगर)
साबरी- (साबर विद्या में सिद्धहस्त)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल)