गौं गौं की लोककला

अवई ( यमकेश्वर ) में स्व प्रताप सिंह बिष्ट के चौपुर निमदारी में काष्ठ कला विवेचना

सूचना व फोटो आभार : चंद्र प्रकाश थपलियाल यमकेश्वर

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 109

अवई ( यमकेश्वर ) में स्व प्रताप सिंह बिष्ट के चौपुर निमदारी में काष्ठ कला विवेचना

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई , खोली , काठ बुलन ) काष्ठ कला, अलंकरण अंकन - 109

संकलन - भीष्म कुकरेती

अवई के स्व प्रताप सिंह बिष्ट का मकान अपनी भव्यता , गढ़वाली व आइरिश शैली का मिश्रण शैली व चौपुर होने के कारण उदयपुर ही नहीं ढांगू , डबराल स्यूं व अजमेर में भी प्रसिद्ध मकान था व एक लैंडमार्क था व कुछ के लिए ऐसा मकान बनाने के सपना भी यह मकान था।

अवई यमकेश्वर ब्लॉक का महत्वपूर्ण गाँव है. अवई के निकटवर्ती गांवों में चमकोटखाल , मजेरा , बड़ोली , गुंडई तल्ला , गुंडई मला गांव हैं। आज अवई के पडियार गाँव स्थान में स्व प्रताप सिंह बिष्ट के भव्य व उत्कृष्ट कोटि के चौपुर (1 +3 ) मकान में काष्ठ कला , अलंकरण की चर्चा होगी।

ठाकुर प्रताप सिंह बिष्ट का यह मकान कुछ सालों पहले तक चमकोटखाल क्षेत्र में प्रसिद्ध मकान था। मकान कुछ कुछ आइरिश शैली याने ब्रिटिश प्रभावित शैली पर बना है। स्व प्रताप सिंह बिष्ट के इस मकान में कुल 12 कमरे हैं व चौथे मंजिल में हाल है जो बारात या अन्य बैठकों हेतु प्रयोग होता था। अवई के स्व प्रताप सिंह बिष्ट के इस मकान में छत टिन चद्दर की है व खिड़कियां भी बड़ी हैं, तल मंजिल में पत्थर मिट्टी या गारा सीमेंट के स्तम्भों /पाया पर टिका है, तो निष्कर्ष निकलता है कि मकान 1947 के पश्चात ही निर्मित हुआ है।

मकान के तल मंजिल में एक कमरा है जिसके दरवाजों के सिंगड़ में केवल ज्यामितीय कला उत्कीर्ण हुयी है। मकान के मुरिन्ड या मथिण्ड में एक काष्ठ अष्ट दल पुष्प लगाया गया है।

पहली मंजिल में बरामदा है व चार द्वार हैं व उन पर दरवाजे लकड़ी के हैं व सभी दरवाजों व रेलिंग पैर केवल ज्यामितीय कला दृष्टिगोचर हो रही है।

दूसरे मंजिल में एक ओर चार द्वार हैं तो बगल में दो द्वार का आभास होता है अत: कहा जा सकता है कि दूसरे मंजिल में कुल छह द्वार हैं व उनके सिंगाड़ /स्तम्भ व मुरिन्ड /मथिण्ड लकड़ी के हैं किन्तु इन स्तम्भों पर भी ज्यामितीय कला अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। स्तम्भों के आधार में ढाई फ़ीट तक दो ओर पट्टिकाएं चिपकायी गयी हैं जिससे स्तम्भ आधार मोटा दिखाई देता है। आधार के बाद स्तम्भ की मोटाई एक जैसी ही है किन्तु मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ी से कुछ नीचे स्तम्भ में एक आयताकार आकृति लगाई गयी है जो स्तम्भ को सुंदरता वृद्धिकारक है।

तीसरे मंजिल में याने चौपुर मंजिल में खिड़कियों में ही काष्ठ कार्य है। मकान के सभी दरवाजों पर चौकोर मुरिन्ड /मथिण्ड हैं खिन भी मेहराब/तोरण / arch नहीं हैं।

इस तरह देखा गया है कि ठाकुर प्रताप सिंह बिष्ट के भव्य चौपुर निमदारी में केवल ज्यामितीय काष्ठ कला व अलंकरण हुआ है केवल एक मुरिन्ड में अष्ट दलीय पुष्प छोड़कर कईं भी प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण नहीं देखा गया है। मकान की भव्यता काष्ठ कला नहीं अपितु मकान की गढ़वाली - आइरिश शैली मिश्रित शैली व चौपुर होने से आयी है।

सूचना व फोटो आभार : चंद्र प्रकाश थपलियाल यमकेश्वर

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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