आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो साभार - श्री भीष्म कुकरेती जी की मैसेंजर वाल से ।

बागी नौसा (टिहरी गढ़वाल) में स्थित जल स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण शैली विवेचना की इस कड़ी के अंतर्गत आज प्रस्तुत है जनपद टिहरी, चंद्रवदनी में जयाड़ा बंधुओं के गांव बागी नौसा के मध्य स्थित धारे की निर्माण शैली और पाषाण कला के बारे में।

जल संसाधनो से समृद्ध इस पूण्य धरा पर स्थित बागी/नौसा के इस धारे के विषय में प्राप्त जानकारी के अनुसार यह गाँव में स्थित बहुत पुरातन जलधारा है ।सूचना स्रोत स्थानीय ग्रामीण श्री जगनमोहन सिंह जयाड़ा"जिज्ञासू" जी द्वारा संकलित ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, इसका निर्माण स्थानीय शिल्पकारों द्वारा ही सन् 1803 के आसपास ही गांव बसाने के साथ ही कर दिया गया था। भूमिगत जल के इस सदानीरा सोते को इस स्थल पर एकत्रित करते हुए स्थानीय तौर पर उपलब्ध एक पत्थर की बनी साधारण सिल्ली से सामान्य सा धारा लगाया गया था।पुनश्च 1972 में जब धारे का जीर्णोद्धार किया गया था तब तत्कालीन स्थानीय शिल्पी श्री मकड़ू मिस्त्री ने नये सिरे से दूसरी प्रस्तर शिला को तराशकर धारे का आकार दिया था इस पर भी साधारण नक्काशी की गई है, जलधार निकालने के लिए छेनी हथोड़े से छीलकर धारे के पत्थर पर आधे इंच चौड़ी व लगभग डेढ़ फीट लंबी नाली बनाई गई है। धारे से छलछलाकर गिरती जल धारा नीचे रखी पठाल के ऊपर गिरते हुए बरबस ही एक फव्वारे जैसा अहसास कराती है। धारे के नीचे आधार के रूप में प्राकृतिक रूप से लगे पत्थर ही सुरक्षा दीवार का काम करते हैं इनमें किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। अत्यंत मनमोहक यह बारामासी जलधारा बागी/नौसा गांव के लोगों और आने जाने वाले यात्रियों के लिए जीवन संजीवनी के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस जलधारा का निर्माण समयानुसार उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर सुनियोजित ढंग से किया गया है। पूर्वजों द्वारा संजोई गई इस अमूल्य धरोहर के संरक्षण का जिम्मा अब हमारी नई पीढ़ी पर है जिससे प्रकृति का यह अनमोल जलभंडार हमारी जीवन धारा को निरंतर यूं ही प्राणोद्क की आपूर्ति करता रहे ।

प्रेरणा स्रोत - वरिष्ठ भाषाविद साहित्यकार श्री भीष्म कुकरेती जी ।🙏 🙏

सूचना साभार - श्री जगनमोहन सिंह जयाड़ा"जिज्ञासू" जी ।

छायाकार - श्री आशीष जयाड़ा।

आलेख :विवेकानंद जखमोला - शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो साभार - श्री भीष्म कुकरेती जी की मैसेंजर वाल से ।