गढ़वाली कविता
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुर
पैल बारी
पैल बारी
सदानी इनि दडि रैई
सदानी इनि दडि रैई
म्यारा जिकुड़ी का खोल मां
म्यारा जिकुड़ी का खोल मां
पैल बारी मां हि बसिगे छे तू
पैल बारी मां हि बसिगे छे तू
यूँ आंख्युं का घोल मां
यूँ आंख्युं का घोल मां
त्वे देखि अद बाटू मां
त्वे देखि अद बाटू मां
सकपके गे छौ मि
सकपके गे छौ मि
अफि मां हि अफ दगडी
अफि मां हि अफ दगडी
तबैर हर्चि गे छौ मि
तबैर हर्चि गे छौ मि
रात भर हूण ह्वाळी बरखा
रात भर हूण ह्वाळी बरखा
जनि ऐकी भिगे गे छे तू
जनि ऐकी भिगे गे छे तू
कख बौगी लेजाणि छे तू
कख बौगी लेजाणि छे तू
ओं सुपनियूं का रौल मां
ओं सुपनियूं का रौल मां
हर पोथी हर लेखनी मा
हर पोथी हर लेखनी मा
में दगडी लिखे गे छे तू
में दगडी लिखे गे छे तू
सदानी इनि दडि रैई
सदानी इनि दडि रैई