गौं गौं की लोककला

गुराड़ (एकेश्वर) ( में रौतों के भव्य मकान की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , लकड़ी नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : उमेश असवाल , एकेश्वर

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 184

गुराड़ (एकेश्वर) ( में रौतों के भव्य मकान की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , लकड़ी नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन ; लकड़ी नक्कासी - 184

संकलन - भीष्म कुकरेती

पौड़ी गढ़वाल में एकेश्वर खंड का तल्ला गुराड़ एक समृद्ध गाँव है। यहां से उमेश असवाल ने कई भवनों की सूचना दी है। आज तल्ला गुराड़ में रौतों /रावतों की तिबारी में लकड़ी पर अंकन , नक्कासी की विवेचना की जाएगी।

तिबारी दुपुर मकान की पहली ंजील में है व मकान दुघर /दुखंड है। तिबारी पत्थर के चौड़े छज्जे के ऊपर पत्थर की देहरी की ऊपर सजी है। तिबारी तेरह स्तम्भों /सिंगाड़ों से निर्मित है याने तिबारी तेराखम्या या तेराखंब्या है। तेरह सिंगाड़ों /स्तम्भों की तिबारी बड़े सौकारों की साहूकारपन (धनी का धन ) की निशानी मानी जाती थी। थोकदार ही तेरह खंब्या तिबारी बना सकते व उसकी देखरेख कर सकते थे। मैदानों में कहा जाता है कि हाथी खरीदना सरल है किंतु हाथी पालना व देखरेख करना मुश्किल होता है। वैसे ही गढ़वाल में कथ्य है कि बड़ी तिबारी बनाना सरल है किंतु देखरेख कठिन होता है।

तिबारी के स्तम्भ सीधे हैं व उनमें ज्यामितीय उत्कीर्णन हुआ है स्तम्भों में उभार व गड्ढे (flueting and flilleting ) की ज्यामितीय उत्कीर्णन हुआ है। स्तम्भ चौखट मुरिन्ड /शीर्ष से मिलते हैं। मुरिन्ड में भी कोई ख़ास नक्कासी देखने को नहीं मिलती है।

नक्कासी न होने पर भी तेरह खंबों से मकान शानदार लगता है। चार या पांच कमरों से तिबारी की बैठक /बरामदा बना है जो गढ़वाल विशेषतः पौड़ी गढ़वाल में देखने को नहीं मिलता है।

मकान व तिबारी में कोई जटिल कला अंकन न होने पर भी बड़े मकान व बड़ी तिबारी ने मकान को भव्य बना दिया है। मकान जीर्णोद्धार की बात जोह रहा है और जिस दिन मकान का जीर्णोद्धार होगा उसी दिन तल्ला गुराड़ की यह भवतं तिबारी भी इतिहास में समा जायेगी। उत्तरी गढ़वाल व कुमाऊं में पर्यटन विकास ने पुराने भवनों को उसी हालात में रखवाया व अब होम स्टे से ये तिबारियां लाभ का साधन बनी है। किन्तु पौड़ी गढ़वाल में लगता नहीं तिबारियां होम स्टे में बदलेंगी .

सूचना व फोटो आभार : उमेश असवाल , एकेश्वर

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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