गौं गौं की लोककला

ढांगर (प्रतापनगर, टिहरी ) में दिनेश सिंह पंवार की तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: पूजा राणा

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 226

ढांगर (प्रतापनगर, टिहरी ) में दिनेश सिंह पंवार की तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी- 226

Traditional House Wood Carving Art of , Tehri

संकलन - भीष्म कुकरेती

टिहरी गढवाल तिबारियों के मामले में भाग्यशाली जनपद है। टिहरी गढवाल से कई प्रकार के तिबारियों की सूचनाएं लगातार मिल रही हैं। इसी क्रम में पूजा राणा ने प्रताप नगर तहसील से ढांगर गाँव से दिनेश सिंह पंवार के भव्य मकान में स्थापित आकर्षक तिबारी में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण पर चर्चा होगी।

ढांगर (प्रतापनगर, टिहरी ) में दिनेश सिंह पंवार की तिबारी ऊपरी मंजिल में छज्जे के उपर देहरी में टिकी है। तिबारी चौखम्या -तिख्वळ्या (चार स्तम्भ -तीन ख्वाळ ) है। किनारे के दोनों सिंगाड़ (स्तम्भ) दीवाल से कड़ी से जुड़े हैं , दोनों कड़ियों के ऊपर सपर्पीली लता -पर्ण का अंकन हुआ है। पत्थर डौळ (हाथी पाँव आकर ) के ऊपर सभी सिंगाड़ टिके हैं और सभी सिंगाड़ों (स्तम्भों ) में कला , अंकन, अलंकरण एक सामान है। पत्थर के डौळ के ऊपर स्तम्भ का आधार कुम्भी नुमा आकर है जो अधोगामी (उल्टा ) पद्म पुष्प दल ( उल्टा कमल पंखुड़ियां ) है व कुम्भी के ऊपर ड्यूल (सर के ऊपर पगड़ी जैसे भर उठाने हेतु ) है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ऊपर की ओर चलने वाला ) पद्म दल (कमल पंखुड़ियां ) विद्यमान है। इस स्थल से स्तम्भ लौकी रूप धारण करते ऊपर चलता है. जहां स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां पर ाधगामी कमल दल उपस्थित है व ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल अंकित हैं। इस स्थान से स्तम्भ दो भागों में बंट जाता है। आधार से लेकर ऊपर तक कमल दलों में प्राकृतिक अंकन हुआ है । ऊपरी उर्घ्वगामी कमल दल के ऊपर स्तम्भ थांत रूप धारण करता है व थांत के ऊपर छत आधार से चलते दीवालगीर लगे हैं। जहां से स्तम्भ ऊपर थांत रूप धारण करता है वहां से अर्ध चाप शुरू होता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर मेहराब बनाता है। मेहराब तीखा (sharp ) नहीं अपितु आकर्षक तिपत्ति रूप (trefoil ) में है, मेहराब के बाहरी शीर्ष स्तर में भी नक्काशी हुयी है । मेहराब के ऊपर स्कंध त्रिभुज आकर के हैं। प्रत्येक त्रिभुज में किनारे एक एक बहुदलीय फूल (सूरज मुखी आकर ) अंकित हैं। मेहराब स्कंध याने त्रिभुज में फूल को छूने पत्तियां दृष्टिगोचर होते हैं।

मुरिन्ड (शीर्ष ) चौखट व बहुस्तरीय हैं। मुरिन्ड के प्रत्येक स्तर में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है और प्रत्येक मेहराब के ऊपर मुरिन्ड स्तर में शगुन हेतु काल्पनिक आकृति अंकित हुयी हैं।

छत के काष्ठ आधार से हर स्तम्भ के थांत के ऊपर तक दीवालगीर शुरू होते हैं। दीवालगीर में पक्षी (जैसे मोर हो ) गर्दन चोंच का अंकन हुआ है और इसके ऊपर पुष्प केशर नाभि भी अंकित है (कमाल की कारीगरी )। छत आधार से शंकु लटके हैं व छत आधार पर भी कला अंकन हुआ है।

निष्कर्ष निकलता है कि ढांगर (प्रतापनगर, टिहरी ) में दिनेश सिंह पंवार की तिबारी भव्य है व आकर्षक प्राकृतिक , ज्यामितीय और मानवीय (मयूर चोंच गर्दन ) कला अंकन से भरपूर है।

सूचना व फोटो आभार: पूजा राणा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटी संभव है I

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