गौं गौं की लोककला

वरगडी ( द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में हर्ष मोहन बलूणी की दिलकश , हसीन , आकर्षक तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , लकड़ी पर नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : राकेश बलूणी वरगडीCopyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 133

वरगडी ( द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में हर्ष मोहन बलूणी की दिलकश , हसीन , आकर्षक तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , लकड़ी पर नक्कासी

लंगूर , गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 133

संकलन - भीष्म कुकरेती

राजनैतिक सीमाकरण हिसाब से वरगडी है तो लंगूर पट्टी (द्वारीखाल ब्लॉक ) का गांव किन्तु सामजिक व सांस्कृतिक दृष्टि से वरगडी मल्ला ढांगू में आता है। यह बलूणियों का गांव है. वरगडी से भी कुछेक तिबारी -निमदारी होने की सूचना मिली है व फोटो की प्रतीक्षा में हूँ।

आज वरगडी (द्वारीखाल ब्लॉक ) में हर्ष मोहन बलूणी की खुबसूरत तिबारी में लकड़ी नक्कासी की विवेचना होगी। यद्यपि फोटो हर्ष मोहन बलूनी की तिबारी के कुछ भाग का ही मिला है किंतु सूचना से पता चला है कि मकान दुखंड , तिभित्या (दो कमरों वाला , तीन भीत या दिवार = एक दीवार सामने चौक की ओर एक दीवार मध्य में व एक पीछे की ओर ) है। हर्ष मोहन बलूनी का मकान दुपुर है व छज्जा आम ढांगू के छज्जों जैसे ही चौड़ा है जिसमे अनाज आदि भी सुखाया जा सकता है। तिबारी मकान के पहली मंजिल पर स्थित है।

तिबारी में लकड़ी के चार सिंगाड़ /स्तम्भ हैं जो तीन ख्वाळ /खोली /द्वार बनाते हैं। डीआर से सटे सिंगाड को जोड़ती कड़ी में बेल -बूटे की बारीक नक्कासी हुए है। स्तम्भ के आधार की कुम्भी उलटे कमल फूल से बना है व फिर ड्यूल (Ring type wood plate ) है , फिर सुलटा कमल फूल है व यहां से सिंगाड़ की चौड़ाई या गोलाई कम होती जाती है। जहाँ पर स्तम्भ है वहीं उल्टा कमल फूल (अधोगामी पद्म दल ) है फिर नक्काशीयुक्त शानदार प्रभावकारी ड्यूल है व उसके ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा , सुल्टा ) कमल फूल है। यहां से स्तम्भ एक ओर थांत (bat blade type ) की शक्ल अख्तियार करता है व यहीं से दूसरी ओर म्रेराब का अर्ध चाप शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण मेहराब निर्माण करता है। मेहराब तिपत्ति (trefoil ) आकृति, तीन परतीय है व परतों /layer में भी सुंदर कलात्मक पर्ण -लता या बेल-बूटे की नकासी हुई है।

मेहराब के बार प्रत्येक त्रिभुज में किनारे पर मनभायी बहुदलीय चक्राकार (तकरीबन सूरजमुखी जैसे ) फूल जड़े हैं। इन फूलों को घेरती चिड़िया हैं व चिड़िया की पूँछ में प्रतीकात्मक /सांकेतिक चित्रकारी हुयी है। एक ओर त्रुभुज में चिड़िया की चोंच फूल के नीचे दबी है व चिड़िया मछली आकर का आभास देती है और यही तो आभाषी अलंकार की खूबी है।

मेहराब के ऊपर चौखट नुमा बहुस्तरीय मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष भाग है , मुरिन्ड के प्रत्येक स्तर/परत में तरह तरह के पर्ण -लता अलंकरण का उत्कीर्ण हुआ है खूबसूरत , नक्कासी.हुयी है। फोटो में साफ़ दीखता है कि छत आधार काष्ठ पट्टिका में भी ज्यामितीय (खड़ी लाइन ) अलंकरण अंकन हुआ है। बारीकी में भी शिल्पियों ने बहुत ध्यान दिया है।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि वरगडी (द्वारीखाल ब्लॉक ) में हर्ष मोहन बलूनी की कशिशदार , हसीन तिबारी में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय सभी प्रकार के अलंकरणों का सुंदर उपयोग हुआ है व नक्कासी बरबस आकर्षित करने में सफल है व तिबारी की कला स्मरणीय है।

सूचना व फोटो आभार : राकेश बलूणी वरगडी

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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