गौं गौं की लोककला

गमशाली गाँव में केदार सिंह फोनिया के मकान में भवन काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : डा चंद्र प्रकाश कुनियाल

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 93

गमशाली गाँव में केदार सिंह फोनिया के मकान में भवन काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण

(केवल कला व अलंकरण केंद्रित )

गढ़वाल, कुमाऊं उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगले दार , बखाई , खोली , मोरी , छाज ) काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण - 93

संकलन - भीष्म कुकरेती

वास्तुकला की दृष्टि से चमोली सदियों से भाग्यशाली रहा है। वास्तव में चमोली की कला , भाषा , संस्कृति पर तीन क्षेत्रों का प्रभाव आज भी दृष्टिगोचर होता है। चमोली के प्राचीन कलाओं व वाणिज्य शैली पर तिब्बती प्रभाव , कुमाऊं का प्रभाव व दक्षिण गढ़वाल का प्रभाव साफ़ झलकता है।

भारत व चीन सीमा पर बसे गमशाली गाँव में भूत पूर्व उत्तर प्रदेश के मंत्री केदार सिंह फोनिया के भव्य मकान में कुमाऊं की बखाई शैली (मोरी आदि ) , गढ़वाल की तिबारी शैली का मिश्रण साफ़ साफ़ झलकता है।

गमशाली में केदार सिंह फोनिया के भवन में काष्ठ कला /अलंकरण /काष्ठ नक्कासी विवेचना हेतु भवन के निम्न भागों को परखना आवश्यक है -

तल मंजिल में सामन्य कमरे के दरवाजों , सिंगाड़ , मुरिन्ड में काष्ठ कला /अंकरण

तल मंजिल में स्थित खोली /खोळी के दरवाजों , सिंगाड़ों , मुरिन्ड , व मुरिन्ड ऊपर काष्ठ कला /अलंकरण

तल मंजिल में खोली के ऊपरी भाग में दोनों ओर स्थित दीवारगीरों व दीवारगीरों के मध्य पट्टिका पर नक्कासी , अलंकरण ,

  • तल मंजिल में खिड़की /मोरी में काष्ठ कला
  • पहली मंजिल में तिबारी में काष्ठ कला , काष्ठ अलंकरण
  • पहली मंजिल में स्थित अन्य द्वार पर काष्ठ अलंकरण
  • पहली मंजिल पर स्थित मोरी /खिड़की में काष्ठ कला अलंकरण
  • छज्जे के आधार , छत्त आधार पट्टिकाओं में काष्ठ उत्कीरण व अलंकरण

तल मंजिल के सांय दरवाजों में नक्कासी , अलंकरण

भूतपूर्व उत्तर प्रदेश के मंत्री केदार सिंह फोनिया के दुखंड /तिभित्या दो पुर मकान में तल मंजिल के सामन्य कमरे के दरवाजों में ज्यामितीय नक्कासी हुयी है व दरवाजों में सौंदर्य वृद्धि हो जाती है। यद्यपि सिंगाड़ों में कोई विशेष कला के दर्शन नहीं होते हैं किन्तु सिंगाड़ों के आधार पर दार्शनिक कला युक्त दीवारगीर स्थापित किये गए हैं।

मुरिन्ड पट्टिका के केंद्र में काष्ठ देव प्रतिमा जड़ी है जो सम्भवतया मुकुटयुक्त चतुर्भुज गणेश की है जिसके एक हाथ में गदा , एक हाथ में कुल्हाड़ी है व गणेश बैठी स्थिति में है।

तल मंजिल में खोली पर नक्कासी कला -

खोली या पहली मंजिल में जाने के लिए अंदरूनी प्रवेश द्वार के दरवाजों पर भी शानदार ज्यामितीय कला उत्कीर्ण हुयी है ठीक जैसे सामन्य कमरे के दरवाजों पर है। सिंगाड व बगल की पट्टिकाओं में प्रशंसनीय बेल बूटों की नक्कासी उत्कीर्ण हुयी है।

खोली के चार दीवारगीर -

मुरिन्ड /सिंगाड़ के बगल में छजजा आधार से दोनों ओर दो दो दीवारगीर स्थापित हैं व बीच में बेल बूटे युक्त कलयुक्त पट्टिका भी स्थापित हैं। एक ओर के नीची वाले दोनों दीवारगीरों में प्राकृतिक अलंकरण का अभिनव प्रयोग हुआ है , पुष्प केशर /फूल के नाल , पराग गण नाल , ओवरी /अंडाशय आदि हैं जो एक शंकुनुमा आकृति से बने है और ऐसा आभास भी देते हैं जैसे किसी बड़ी चिड़िया की चूंच हो , इस पुष्प नाभिका या केशर के ऊपर चिलगोजा। छ्यूंती का एक दल हो व ऊपर घुंगराले बाल की कोई लट हो जैसा आभाष होता है , इस पुष्प दल नाल , केशर आकृति के ऊपर हर दीवारगीर में पशु अंकित हुआ है। एक दीवारगीर के ऊपरी भाग में हाथी अंकित हुआ है तो दूसरे दीवारगीर के ऊपरी भाग में कोई बड़ी चिड़िया अंकित ह्यु है जो वास्तव में डायनासोर की याद दिला देते हैं (यद्यपि कलाकार का मंतव्य डायनासोर नहीं रहा है ) , हाथी की सूंड में कमल दल व अन्य वनपस्ति पत्तियों की चित्रकारी हुयी है तो पक्षी के ऊपर भी बेल बूटों की आकृति अंकित हुयी है।

सिंगाड़ आधार में भी देव आकृति व प्रकृति आकृ का मिला जुला संगम अंकित वाली पट्टिका स्थापित हुयी है।

मोरी के मुरिन्ड पट्टिका के केंद्र में भी गणेश प्रतिमा अंकित है।

केदार सिंह फोनिया के मकान के पहली मंजिल में मेहराब युक्त भव्य तिबारी में काष्ठ अंकन -

मकान की चार स्तम्भों व तीन मोरियों /द्वारों /खोलियों की तिबारी पहली मंजिल पर स्थित है।

किनारे के स्तम्भों को दीवार से जोड़ने वाली कड़ी में बेल बूटे अंकित हैं।

प्रत्येक स्तम्भ के आधार में अधोगामी कमल दल से कुम्भी (पथ्वड़ ) बनता है व उसके ऊपर डीला है , ढीले के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल अंकित है व दोनों प्रकार के कमल दलों में पत्तियों जैसे आकृतियां अंकित हुयी है हैं। उर्घ्वगामी कमल दल के बाद स्तम्भ की मोटई कम होती जाती है व् जब कम से कम मोटाई आती है तो तीन डीले उभर कर आये हैं व ऊपर फिर से उर्घ्वगामी कमल दल उभर कर आये हैं। कमल पुष्प दल से ही प्रत्येक स्तम्भ से मेहराब arch शुरू होता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण चाप /आर्च /मेहराब बनाते हैं। मेहराब /तोरण /arch बहु तलीय है व तोरण के बाह्य पट्टिका के दोनों ओर की पट्टिकाओं में वानस्पतिक अलंकरण अंकन हुआ है। प्रत्येक मुरिन्ड पट्टिका के मध्य धार्मिक प्रतीक (मानवीय अलंकरण ) प्रतिमसा जड़ी है। याने तिबारी में इस तरह की कुल तीन प्रतिमाएं है।

तिबारी के मोरी के दरवाजों पर अलंकरण

तिबारी दरवाजों पर व पहली मंजिल के कमरे के दरवाजों में दोनों पर ज्यामितीय कला अलंकरण वास्तव में काष्ठ कला का अभिनव उदाहरण है। नमन कलकारों को।

पहली मंजिल पर स्थित कमरे के सिंगाड़ व मुरिन्ड में काष्ठ अलंकरण अंकन -

गमशाली में केदार सिंह फोनिया के मकान में पहली मंजिल के दूसरे कमरे के सिंगाड़ , मुरिन्ड व दरवाजों पर भी दर्शनीय , नयनाभिरामी कला उत्कीर्णित हुयी है।

स्तम्भ /सिंगाड़ में तकरीबन वैसे ही नक्कासी हुयी है जैसे तिबारी के स्तम्भों में कला अलंकरण। इस कमरे में भी तोरण /मेहराब /arch बना है जिसके दोनों ओर प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। मुरिन्ड के ऊपर देव प्रतिमा प्रतीक बिठाया गया है।

पहली मंजिल की खिड़की /मोरी में नक्कासी -

तिबारी व दूसरे कमरे के मध्य दीवाल में एक मोरी /खिड़की है। मोरी के सिंगाड़ , दरवाजों , मुरिन्ड में ज्यामितीय कला अंकन है किन्तु खिड़की तोरण /arch के ऊपर भाग में फूल पत्तियों की नक्कासी हुयी है। इसी चाप नुमा आकृति के ऊपरी भाग में प्रार्थना नुमा आखर अंकित हैं।

छत आधार पट्टिका व छज्जे से लटकते शंकु आकृतियां

छत के आधार की पट्टिकाओं में ज्यामितीय कला दर्शन होते हैं व नीचे की पट्टिका से दसियों शंकु आकृति लटकी हैं। इसी तरह छज्जे के आधार से भी शंकु ाकृत्यं लटकी हैं।

चूँकि खिड़कियों का आकर बड़ा है तो साबित होता है कि मकान 1960 के पश्चात ही निर्मित हुआ होगा।

निष्कर्ष निकलता है कि भारत के सीमावर्ती गाँव गमशाली में भूतपूर्व मंत्री केदार सिंह फोनिया का मकान भव्य तो है ही इस मकान में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण बहुत ही उम्दा ढंग से हुआ है और यह तिबारी कला दृष्टि से उच्च कोटि में मकान में सुमार होगी ही।

सूचना व फोटो आभार : डा चंद्र प्रकाश कुनियाल

Copyright @ Bhishma Kukreti