गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी -227
Tibari House Wood Art in , Pauri Garhwal
संकलन - भीष्म कुकरेती
नाथूपुर दुगड्डा मंडल में ऐतिहासिक गाँव है। नाथूपुर की स्थापना गढ़वाल राइफल के रिटायर्ड औननरी कैप्टेन नाथूसिंह रावत ने की थी। सन 1927 में मूलत: चौंदकोट निवासी नाथूसिंह रावत को यह भूमि गाँव ब्रिटिश शासन ने उनके शौर्य हेतु जागीर में दी थी। लगभग 1930 में उनके घर में शहीद चंद्र शेखर आजाद ठहरे थे। रिटायर्ड औननरी कैप्टेन नाथूसिंह रावत के पुत्र स्वतंत्रता सेनानी भवानी सिंह रावत चंद्र शेखर आजाद के दोस्त थे। आज इस मकान की देखरेख भवानी सिंह रावत के सुपुत्र जगमोहन सिंह रावत करते हैं।
आज उस जंगलेदार मकान में काष्ठ कला , अलंकरण की चर्चा होगी जिसमें शहीद चंद्र शेखर आजाद ठहरे थे।
रिटायर्ड औननरी कैप्टेन नाथूसिंह रावत का यह ऐतिहासिक मकान दुपुर है व जंगला पहली मंजिल में स्थापित है। जंगला लकड़ी के छज्जे पर स्थापित है। जंगल में सात स्तम्भ (खाम ) दृष्टिगोचर हो रहे हैं। स्तम्भ छज्जे से सीधे ऊपर मुरिन्ड की कड़ी से मिलते हैं। स्तम्भ के आधार पर दोनों ओर से पट्टिकाएं लगी हैं जिससे आधार पर स्तम्भ मोटे दीखते हैं। स्तम्भ व मुरिन्ड (शीर्ष ) की कड़ी सपाट हैं। आधार पर दो ढाई फिट की ऊंचाई में दो रेलिंग (कड़ियाँ ) हैं जिनके बीच सपाट उप स्तम्भ के जंगले सधे हैं।
मकान या जंगले में ज्यामितीय कटान के अतिरिक्त कोई अन्य अलंकरण के दर्शन नहीं होते हैं।
मकान दो कारणों से ऐतिहासिक है। एक तो यह मकान स्वतंत्रता सेनानी भवानी सिंह रावत का भी मकान था व यहीं शहीद चंद्र शिकार आजाद भी ठहरे थे।
गढ़वाल में जंगलेदार मकान समझने हेतु भी मकान कम ऐतिहासिक नहीं है। रिटायर्ड औननरी कैप्टेन नाथूसिंह रावत ने यह मकान बनवाया और अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्होंने जंगलादार मकान निमृत करवाया था। गढ़वाल में सबसे पहले जंगलेदार शैली मकान की नींव हरसिल के विल्सन ने 1860 के करीब रखी थी व वहीं से जंगलेदार मकान प् प्रचलन गढ़वाल में हुआ। नाथू सिंह रावत का यह मकान 1927 -28 में बना। तो इस मकान को जंगलेदार शैली के मकान इतिहास में एक मील पत्थर भी मान सकते हैं। जब रिटायर्ड औननरी कैप्टेन नाथूसिंह रावत ने जंगलेदार मकान बारे में सोचा होगा तो अवश्य ही ऐसे मकान उनके समय निर्मित हो चुके होंगे।
सूचना व फोटो आभार: वरिष्ठ पत्रकार विजय भट्ट
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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