गौं गौं की लोककला

जड़सारी , (उयदयपुर ) गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला

(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )

संकलन - भीष्म कुकरेती

जड़सारी मल्ला उदयपुर, पौड़ी गढ़वाल का एक उपजाऊ व महत्वपूर्ण गाँव है जिसकी सीमाएं मल्ला आव , डिबरण, फिड्वा , सीला , चमकोट गांवों से मिलती हैं। जड़सारी के निकट सतेड़ी नदी या गदन बहता है। जड़सारी गाँव में भी निम्न लोक कलाएं 1985 तक तो प्रचलित थीं जो उदयपुर पट्टी में भी प्रचलित थीं -

संस्कृति व कर्मकांड संबंधी कलाएं , जैसे पंडितों व तांत्रिकों द्वारा क्रियावनित लोक कलाएं

कृषि संबंधी कृषकों की लो कलाएं जैसे टाट , पल्ल , मुणक , ज्यूड़ , निसुड़ निर्माण

घरेलू कार्य संबंधी कलाएं - भोजन , लिपाई पुताई , रंग रोगन , वसंत पंचमी , होली आदि में घरेलू कार्य संबंधी कलाएं

जीविकोपार्जन संबंधी पेशेवर की कलाएं - भवन निर्माण , बढ़ई , लोहरगिरि, सुनारगिरि आदि

जड़सारी में भी उपरोक्त सभी कलाएं विकसित थीं। निम्न कलाकार बीसवीं सदी के अंत तक प्रसिद्ध हुए हैं -

सुनार - अधिकतर ऋषिकेश पर निर्भर

लोहार - जीत सिंह , आनंद सिंह परिवार

बढ़ई -जीत सिंह , आनंद सिंह

भवन निर्माण /ओडगिरी - जीत सिंह , आनंद सिंह परिवार

टाट , पल्ल , हल , जुआ , निसुड़ आदि निर्माण सभी कृषक अपने आप करते थे।

पंडित - मुण गाँव के भरोसा नंद व ठींगराबन्द के हर्ष बडोला

तांत्रिक मांत्रिक भी मुण गाँव के भरोसा नंद

औजी /ढोल वादक - बिसंदरी गांव के मथुरा दास , परिवार व अमोळा के रीठू दास

बादी बादण - जड़सारी के ही झम्पा परिवार


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सूचना आभार - पंडित श्याम राणाकोटी , जड़सारी