गौं गौं की लोककला

गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ ) के एक मकान में काष्ठ कला , अलंकरण , लकड़ी में इल्म -ए -हिंदसे नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : पंकज सिंह महर

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 143

गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ ) के एक मकान में काष्ठ कला , अलंकरण , लकड़ी में इल्म -ए -हिंदसे नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 143

संकलन - भीष्म कुकरेती -

गंगोलीहाट पिथौरागढ़ का एक छोटा कस्बा है व शक्ति पीठ हट कालिका देवी हेतु प्रसिद्ध है व । गंगोलीहाट के निकटवर्ती पातळ भैरवी गुफाएं भी है व चोक्तिया की पहाड़ियां ..

गंगोलीहाट से कुछ विशेष बाखलियों व मकानों की सूचना मिली हैं जो कुमाऊं की अन्य बाखलियों से विशेष है exclusive हैं।

पंकज सिंह महर द्वारा भेजे गए यह मकान भी कुमाऊं में आम बाखलियों के मुकाबले कुछ अलग ही है। मकान का डिजाइन तो बाखली जैसा है किन्तु आकार बहुत ही छोटा है और काष्ठ कला भी बाखली के अनलिखे नियमों से हठ कर ही है।

मकान ढैपुर शैली का है व तल मंजिल भंडार या गौशाला रूप में इस्तेमाल होता रहा होगा पहली मंजिल में या ऊपर कोई छज्जा /छाज नहीं है। पहली मंजिल या ऊपर कोई छज्जा /छाज नहीं है। पहली मंजिल में सात लकड़ी के स्तम्भ/सिंगाड़ /खम्बे हैं जो छह खोली या मोरी बनाते हैं। मकान में सिंगाड़ों से बने खोली /द्वार को लकड़ी की पट्टियों से ढक दिया गया है। एक मोरी के दरवाजा लगाकर प्रवेश द्वार बना लिया गया है। एक खोली के पट्टी को आधा काटकर मोरी बना दिया गया है।

मोरी को ढकने वाले पत्तियों में ज्यामितीय कला ही उत्कीर्ण हुयी है जो कि कुमाऊं की बाखलियों से भिन्न है। आम बाखलियों की मोरी के दुंळ (खोह ) को ढकने वाले पट्टियों में कई थर की नक्कासी मिलती है जैसे हमने बिंतोली व जीजार की बाखलियों में देखा कि मोरी ढकने की पट्टी में न सही सिंगाड़ में कला उत्कीर्ण होती है।

मुरिन्ड /मथिण्ड (खोलियों के ऊपर शीसरह की कड़ी ) की कड़ी में ज्यामितीय कटान छोड़ कोई कला उत्कीर्ण नहीं है व मुरिन् के ऊपर छत आधार पट्टिका में भी ज्यामितीय कला / याने इल्म -ए - हिंदसे नक्कासी ही मिली है।

मकान की शान इसकी गोलकार सीढ़ियां हैं जो पहाड़ों में कम ही देखने को मिलते हैं।

निष्कर्ष है कि गंगोली हाट (पिथोरागढ़ ) की इस लघु बाखली में ज्यामितीय काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णित हुए है याने बस इल्म -ए - हिंदसे फन के ही दीदार होते हैं।

सूचना व फोटो आभार : पंकज सिंह महर

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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