गढ़वाली में विशेषण - विशेष्य

गढ़वाली में विशेषण - विशेष्य

विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण तथा जिन संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताई जाती है वे विशेष्य कहलाते हैं। गढ़वाली में प्रयोग होने वाले ऐसे विशेषण शब्दों का अपना निराला सौंदर्य है जो विशेष्य के गुण, दोष, दशा, स्वभाव, रंग, अवस्था, आकार आदि की विशेषता को ध्वनित करने में बेजोड़ हैं। इनका प्रयोग गढ़वाली गीत तथा कविताओं में खूब होता है। इनकी एक लम्बी सूची है। यहां कुछ ही विशेषण विशेष्य के उदाहरण दिये जा रहे हैं:-

अगाळ्या - लाखड़ो

उच्चि-निसि - डांडि

अधकपळ्या - मुंडारो

इखारो - गात

उजाड़्या - गोरु

उलार्या - पराण

कराळो - ढुंगो

कळसौंगु - रंग

कुतरण्यां - लत्ता

कैराण्यां - आँखा

क्वांसि - जिकुड़ि

खळखळि - ढुंगि

खुदेड़ - पराण

गवाळि - भारि

घतघति - जिकुड़ि

घमणांदि - घांडि

चड़चड़ो - घाम

चलचलि - मुखड़ि

चाँदु - भैंसि

चुकपट्ट - अंध्यारो

छाळी - बाच

छुणक्याळी - दाथुली

जसिला - हाथ

जुन्याळि - रात

तमतमि - मुखड़ि

तिसाळु - पराण

तेलड़ी - जगा

दड़बड़ि - दाळ

दाँति - अखोड़

दुधाळ - गौड़ी

निगुरो - सरील

डणस्याळी - मनखीण

द्वी - झणा

चार - आखर

परथारि/छेतो - नथुलो

खरायूं - सर्ग

फरफरो - भात

कंकर्याळु - घ्यू

कलबली - डाळी

किसाळा - ग्यूं

कुरबुर्या - जाड्डु

कौजाळु - पाणि

खरसाण्या - काखड़ी

खित - हैंसि

गरगरा - काफळ

गैरि - रौलि

घणो - बण

घुंघर्याळा - बाळ

चबर्यट्या - गिच्चि

चिफळि - ढुंगि

छुंयाळ - आँखि

जाळि - छ्वीं

झपन्याळि - डाळी

तड़तड़ी - उकाळ

तैलु - घाम

दळीं - दाळ

दानि - अकल

नजिलि - पुंगड़ि

नौसुर्या - बांसुळि

ठाडी - मौण

पंच - केदार

मयाळु - पराण

घियाळ - भैंसि

फफक्यांदि - बाच

बदळ्यूं - सर्ग

बांडि - गौड़ी

बिगरैलि - बांद

भभड़ांदि - आग

मनततो - पाणि

मरख्वाड़्या - बळ्द

मौळि - छांस

यकहत्या - भैंसु

रसबसि - भुज्जि

रसिला - आम

रुणझुण - बरखा

रौंत्याळी - डांडि

लंडेरु - कुक्कूर

ललंगा - फूल

लैंदि - गौड़ी

हिंवाळी - कांठी

हौंसिया - उमर

सिलड़ा - पाखा

सुरसुर्या - बथों

स्वाणि - मुखड़ि

बसग्याळि - गाड

बाळि - उमर

मयाळु - पराण

मायादार - आँखि

मुलमुल - हैंसि

रतन्याळि - आँखि

रमाळ - गौड़ी

रुमणांदि - म्वारि

रौंत्याळो - मुल्क

हुणत्याळो - नौनो

सरम्याळि - आँखि

सीलि - वबरि

सेळु - घाम

स्वाणिलि - धर्ति

(साभार- हिंदी गढ़वाली अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल, संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)