गौं गौं की लोककला

नाली गांव (अजमेर ) के प्रताप सिंह नेगी (तहसीलदार साब ) की तिबारी व खोली में काष्ठ , अलंकरण ( उच्च श्रेणी का तिपुर व तिबारी )

सूचना व फोटो आभार : संजय नेगी , नाली गाँव

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 94

नाली गांव (अजमेर ) के प्रताप सिंह नेगी (तहसीलदार साब ) की तिबारी व खोली में काष्ठ , अलंकरण ( उच्च श्रेणी का तिपुर व तिबारी )

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बखाई , मोरी , खोली ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 94

संकलन - भीष्म कुकरेती

जब भी दक्षिण पश्चिम गढ़वाल की तिबारियों , तिपुरों की चर्चा होगी तो अवश्य ही नाली गाँव ( अजमेर ) के प्रताप सिंह नेगी 'तहसीलदार साब ' के तिपुर व तिबारी व खोली की चर्चा होगी , बिना प्रताप सिंह नेगी के तिबारी की चर्चा गंगा सलाण की तिबारियों की चर्चा फ़िजूल ही मानी जाएगी

दक्षिण गढ़वाल में पहली मंजिल (दुपुर ) व तीसरी मंजिल (ढैपुर या तिपुर ) निर्माण की शैली वास्तव में ब्रिटिश राज में 1890 के पश्चात ही प्रचलन में आया। माहमारी दूर करने हेतु ब्रिटिश अधिकारियों ने गौशालाओं को रहवासी मकानों से अलग निर्माण की प्रेरणा के बाद ही दक्षिण गढ़वाल में तिबारी आदि का प्रचलन बढ़ा।

नाली गाँव के स्व प्रताप सिंह नेगी 'तहसीलदार साब ' प्रस्तुत तिबारी व खोली भी द्योतक है कि जब गढ़वाल में कृषि व नौकरी से समृद्धि आयी तो तिबारियों , निमदरियों या जंगलेदार मकानों का प्रचलन बढ़ा। नाली गाँव के प्रताप सिंह नेगी के तिपुर मकान में बड़ी खिड़की से अनुमान लगाना सरल है कि मकान सन 1940 ले लगभग या उसके बाद ही निर्मित हुआ होगा।

मकान दुखंड / तिभित्या व तिपुर (तल व दो अन्य मंजिलें ) वाला मकान है। मकान में तिबारी है तो तल मंजिल से अंदर ही अंदर जाने हेतु प्रवेश द्वार या खोली भी है , तिबारी व खोली में काष्ठ कला अंकन के विशेष दर्शन प्रताप सिंह नेगी की तिबारी व खोली में होते हैं।

नाली गाँव के प्रताप सिंह नेगी के मकान में काष्ठ संरचना ,कला , अलंकरण समझने ह हेतु तीन भागों में ध्यान देना आवश्यक है

पाषाण छज्जे को आधार देने हेतु बने कलयुक्त , नक्कासीदार दासों (टोड़िओं ) की संरचना , कला अलंकरण का आकलन व विश्लेषण

तल मंजिल में कमरों के दरवाजों व खोली (प्रवेशद्वार ) की काष्ठ संरचना , कला व अलंकरण विवेचना

पहली मंजिल पर तिबारी व तिबारी के ऊपर तीसरी मंजिल छत तक काष्ठ पट्टिका व उस पर नक्कासी , तिबारी पर काष्ठ कला व अलंकरण व छत आधार से लटकते काष्ठ शंकुओं की काष्ठ कला उत्कीर्णन शैली।

पाषाण छज्जे के अधहार काष्ठ दासों में नक्कासी

कम चौड़े पाषाण छज्जे को काष्ठ दासों ने आधार दिया है। हर काष्ठ दास में कलात्मक प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। दास के सामने नीचे भाग में अधोगामी कमल दल है। कमल दल के ऊपर बड़े पुष्प की पंखुड़ियां है व इन पंखुड़ियों के ऊपर पुष्प केशर नाल है , ऊपर दास का आयताकार गुटका है। दासों के बगल में पुष्प चक्र अंकित है व तरंगे आभास करते कलयुक्त अंकन भी है।

तल मंजिल में खोली संबंधी काष्ठ संरचना , कला व अलंकरण

खोली में दो स्थलों पर कला विवेचना हेतु ध्यान देना अविक है - सिंगाड़ -मुरिन्ड में व खोली के ऊपर अगल बगल में काष्ठ दीवालगीरों पर नक्कासी

खोली के सिंगाड़/स्तम्भ व मुरिन्ड (शीर्ष ) एक बड़ा चाप /तोरण निर्माण करते हैं। स्तम्भों में आधार पर कमल दल है व ऊपर की और बेल बूटेदार अंकन हुआ है। मुरिन्ड में शानदार कलात्मक प्राकृतिक /वानस्पतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण हुआ है। मुरिन्ड के मध्य एक देव /आध्यात्मिक प्रतिमा जड़ी है।

खोली के बगल में दीवालगीरों में कायस्थ अलंकरण

खोली के ऊपर व मुरिन्ड के अगल बगल दोनों ओर तीन तीन दिवालगीर हैं जिनपर शानदार हृदय में उत्साह भरने वाली नक्कासी हुयी है। प्रतीक दीवालगीर में नीचे के दो स्तरों में बड़ा पुष्प केशर नाल जो चिड़िया चोंच का आभास भी देता है का अंकन हुआ है। दीवालगीर के ऊपर स्तर में एक आधार /चौकी /impost है जिस पर किनारे में हाथी खड़े हैं व बीच के दीवालगीर में कोई चिड़िया अथवा कोई पशु अंकित हुआ है। काष्ठ अंकन चित्रकारी इतनी बारीकी से हुआ है कि हाथियों के दांत भी नयनाभिरामी हैं।

तल मंजिल के दूसरे कमरों के मुरिन्ड में आध्यात्मिक /शगुन /भाग्यदेय पर्तीकात्मक काष्ठ पुष्प चक्र मंडित हुए हैं ।

पहली मंजिल में छज्जे के ऊपर स्थित तिबारी में काष्ठ अंकन

तिबारी की कला विवेचना हेतु दो भागों को समझना आवश्यक है १- मुख्य तिबारी व २- तिबारी के ऊपर तिपुर छत तक काष्ठ कला , अलंकरण।

तिबारी क्षेत्र की आम तिबारियों जैसे ही भव्य है जिसमे चार स्तम्भ /सिंगाड़ का तीन खोली /द्वार /मोरी हैं व मेहराब युक्त मुरिन्ड हैं। प्रत्येक स्तम्भ के आधार का कुम्भी अधोगामी पद्म पुष्प दल /petals हैं जिसके ऊपर डीला /ring type wood plate है जहां से उर्घ्वगामी पद्म दल है व जिअसे ही उर्घ्वगामी कमल समाप्त होता है स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है। जहां पर स्तम्भ शबे कम मोटा है वहां पर एक डीला उभरता है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल अंकित है। कमल दल समाप्त होते ही स्तम्भ से ऊपर सीधा स्तम्भ थांत भाग (bat blade type ) शुरू होता है जो मुरिन्ड ऊपर की एक समानांतर कड़ी से मिलते हैं। यहीं पर सत्मव्ह के दूसरी ओर मुरिन्ड का रद्द चाप शुरू होता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूरा arch /मेहराब /तोरण बनाते हैं। मेहराब /arch /तोरण /चाप ट्यूडर नुमा आकृति की है व बहु तह वाली है।

मेहराब के ऊपरी किनारे की पत्तियों में एक एक ओर बहु दलीय भाग्य डिटक पुष्प अंकित हुआ है व इस पट्टिका में वानस्पतिक कला अंकन हुआ है। स्तम्भों को जोड़ू कड़ी में वानस्पतिक नक्कासी हई है।

मुरिन्ड के ऊपर व तिपुर छत के नीचे काष्ठ पट्टिका में काष्ठ अलंकरण अंकन :-

नाली गाँव (अजमेर ) के प्रताप सिंह नेगी 'तहसीलदार साब ' का मकान की मुख्य विशेषताओं में एक विशेषता है कि तिपुर छत से तिबारी मुरिन्ड तक एक काष्ठ पट्टिका है जिस पर नकासी तो है ही साथ में चार स्तम्भों के ठीक ऊपर इस पट्टिका में च रचार दीवालगीर (bracket ) उत्कीर्णित हैं। गंगा सलाण या दक्षिण पश्चिम पौड़ी गढ़वाल के भूभाग में अभी तक के सर्वक्षण में ऐसा carving उत्कीर्णन नहीं मिला है।


लकड़ी के दीवालगीर कुछ कुछ खोली के दीवालगीर जैसे ही हैं याने निम्न दो स्तरों में पुष्प केशर नाल (पराग गण नलिका ) व पुष्प जो चिड़िया चोंच का भी आभास देता है व सबसे ऊपर के स्तर में हाथी या ने पश्य या पक्षी। मुरिन्ड व तिपुर छत आधार के मध्य की बड़ी पट्टिका में अवश्य ही चित्रकारी उत्कीर्ण हुयी होगी किन्तु भवन के आग लगने से यह भाग नष्ट हो गया है अतः अंकन शैली व अर्चना का अनुमान लगाना कठिन है।

निष्कर्ष

जब भी दक्षिण पश्चिम गढ़वाल (गंगा सलाण ) में तिपुर व तिबारियों की चर्चा होगी तो अवश्य ही नाली गाँव (अजमेर ) के प्रताप सिंह नेगी 'तहसीलदार साब ' की तिबारी व मकान की भी चर्चा होगी। प्रताप सिंह नेगी की तिबारी व तिपुर में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरणों का सर्वोचित्त पटयोग हुआ है व कला के सभी सिद्धांतों जैसे - एकरसता , सम्पूर्णता (2 =2 =4 नहीं अपितु इन्फिनिटी ) , एकरसता तोड़ने की रन नीति ; दोनों ओर औपचारिक संतुलन , गतिशीलता या तरंग पैदा करने की ताकत आदि सभी कुछ है।

सूचना व फोटो आभार : संजय नेगी , नाली गाँव Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020