उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -61

उत्तराखंड परिपेक्ष में चंद्रैण, पुयानु, ढांढरु /ढांढरा की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास -19

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --61

उत्तराखंड परिपेक्ष में चंद्रैण, पुयानु, ढांढरु /ढांढरा की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास

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उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --61

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical name - Paeonia emodi

Common Name - Himalayan Peony

उत्तराखंडी नाम -भोटिया क्षेत्रीय नाम -पुयानु , केदारनाथ क्षेत्रीय नाम - ढांढरु /ढांढरा; चंद्रैण , चंद्रैन। इसे केदारनाथ -नीति घाटी में रामवाण औषधि के रूप में लिया जाता है।

संस्कृत नाम -चंद्रा

हिंदी -चंद्रैन

जन्मस्थल - हिमालय ,

रहन -सहन - चंद्रैण , चंद्रैन एक 30 -75 सेंटीमीटर ऊंची झाडी होती है। चंद्रैण , चंद्रैन के बड़े अति सुंदर सफेद फूल होते हैं बीच में गुलाबी -पीले स्टेमिना के गुच्छे बड़े आकर्षक लगते हैं। चंद्रैण , चंद्रैन अफगानिस्तान हिमालय से पश्चिमी नेपाल हिमालय में 1800 -2500 मीटर ऊँचे स्थान में उगता है। चंद्रैण , चंद्रैन सबसे लम्बी उम्र तक (सौ साल तक भी पाये जाते हैं ) ज़िंदा रहने वाली झाडी मानी जाती है।

चंद्रैण , चंद्रैन का औषधीय में उपयोग

केदरनाथ घाटी में चंद्रैण , चंद्रैन की पत्तियों का अर्क हर घर में मिलेगा

चंद्रैण , चंद्रैन का प्रत्येक भाग औषधी के रूप में उपयोग होता है। चंद्रैण , चंद्रैन के अलग अलग भागों का जुकाम , पेट रोग , उल्टियां , रीढ़ कि हड्डियों में दर्द ,पेशाब के रोग , हिस्टेरिया , दिमागी रोगों , आँख के रोगों व प्रसवाव्स्था में औषधीय उपयोग होता है।

चंद्रैण , चंद्रैन का भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग

फूल आने से पहले की पत्तियां सब्जी के रूप में ही उपयोग की जाती हैं , पत्तों की सब्जी वैसे ही बनाई जाती है जैसे पालक या राई की सब्जी बनती है। सब्जी कडुवी होती है।

शालनी मिश्रा, मैखुरी , काला , राव व सक्सेना ने लिखा है कि नीति -माणा के मध्य नंदा देवी बायोस्फेयर क्षेत्र में चंद्रैण , चंद्रैन की कोमल पत्तियों व डण्ठलों को मसालों के साथ उबाला जाता है। इस उबले पदार्थ किण्वीकरण याने अचारीकरण किया जाता है। पत्तियों के पेस्ट या केक सुखाकर भविष्य में सब्जी या भोजन कमी के वक्त हेतु रखा जाता है जैसे सुक्सा ।

तिबती सरहद में चंद्रैण , चंद्रैन कि पत्तियों का उपयोग चाय जैसा भी होता है।

शालिनी ध्यानी ने चंद्रैण , चंद्रैन , पूयानु की सब्जी बनाने कि विधि इस प्रकार दी है -

सामग्री

पुयानु, ढांढरु /ढांढरा चंद्रैण , चंद्रैन की कोमल पत्तियां व डंठल -500 ग्राम

जख्या या धनिया या राई बीज छौंकने हेतु - आधा चमच

प्याज -एक कटा प्याज

दो लाल मिर्च

थींचा या पीसा लहसुन दो क्लोव

नमक -स्वादानुसार

कडुवा तेल -एक चमच

पुयानु, ढांढरु /ढांढरा चंद्रैण , चंद्रैन का साग बनाने कि विधि

पहले कडुआ तेल कढ़ाई में गरम करें। फिर गरम तेल में जख्या या राई का तड़का दें।

फिर लाल मिर्च भूनें , लहसुन डालें व छौंके , फिर पत्तिया -डंठल को डालें, नमक डालें व कम आंच में ढक्कन लगाकर पकाएं . बीच बीच में हिलाते रहें।

इसी तरह सौ सौ ग्राम चंद्रैण, पालक , आलू के पत्तियों , आदि हरी सब्जियों की मिश्रित सब्जी बनायी जाती है।

Copyright @ Bhishma Kukreti 17 /11/2013