गौं गौं की लोककला

नैल खनसर (चमोली ) में आलम चंद्र के बखाली नुमा मकान में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: प्रसिद्ध काष्ठ लोक कलाकार राजेंद्र बडवाल

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 194

नैल खनसर (चमोली ) में आलम चंद्र के बखाली नुमा मकान में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी - 194

(अलंकरण व कला पर केंद्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव से कुछेक तिबारी व बखालीनुमा मकानों की सूचना मिली है। आज आलम चंद्र के बखाली नुमा मकान में लकड़ी पर नक्काशी की विवेचना होगी।

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान दुपुर , दुखंड (दुघर या तिभित्या ) है व कुमाऊं के बखाली शैली से प्रभावित मकान है। मकान में छज्जे को कोई महत्व नहीं दिया गया है। नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान में लकड़ी नक्काशी विवेचना हेतु तीन मुख्य केंद्रों में टक्क लगानी होगी अर्थात - खोळी , पहली मंजिल पर बड़ी बड़ी मोरियां (झरोखे) और तल मंजिल में दो लघु मोरियों व पहली मंजिल में दो लघु मोरियों पर दिन दिया जायेगा।

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र के मकान में खोळी (आंतरिक मुख्य द्वार ) तल मंजिल से लगभग मकान के छत तक गयी है। खोळी के दोनों मुख्य सिंगाड़ (स्तम्भ) तीन तीन उप सिंगाड़ों के युग्म से बने हैं। प्रत्येक उप सिंगाड़ के आधार में उलटे कमल फूल से लम्बी कुम्भी निर्मित होती है जिसके ऊपर ड्यूल हैं व ड्यूल के ऊपर पथ्वड़ नुमा कमल फूल है व फिर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल पंहुकडियां हैं। कमल की पंखुड़ियों में ऊपर से भी बारीक नक्काशी हुयी है। सुल्टे कमल फूल से तीनों उप सिंगाड़ कड़ी रूप धारण कर ऊपरी मुरिन्ड व निम्न तल मुरिन्ड से मिल जाते हैं। मुरिन्ड के दो तल हैं निम्न तल उप सिंगाड़ों (स्तम्भों ) कड़ियों से बना है व ऊपरी सिंगाड़ उभरे पटिले (तख्त नुमा ) से निमित हुआ है। ऊपरी सिंगाड़ के पटिले में उभय आभासी आक्तिति अंकन हुआ है - चिड़िया व फूल।

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान के खोली के दरवाजों पर दो दो ज्यामितीय व दो दो छह फूल पंखुड़ियों का अंकन हुआ है।

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान में पहली मंजिल पर खोली के दोनों ओर बड़ी बड़ी मोरियां (झरोखे) स्थापित हैं। मोरियां बहुत ही कम चौड़े छज्जे से शुरू होते हैं व छत तक पंहुचते हैं। इन मोरियों में प्रत्येक ओर के मुख्य सिंगाड़ भी खोली के ही अनुरूप तीन तीन उप सिंगाड़ों (उप स्तम्भों ) के युग्म से निर्मित हैं. कला दृष्टि से दोनों मोरियों के उप सिंगाड़ खोली के उप सिंगाड़ों की हु बहु नकल है। इन खोलियों का निम्न भाग लकड़ी के पटिले (तख्त ) से ढके हैं व एक खोली के खोल को ढकने वाले पटिले (तख्ता ) पर चार चार दलीय फूल अंकित हैं व दूसरी मोरी के खोल को ढकने वाले पटिले में सूरजमुखी नुमा फूल अंकित हैं जैसे पूजा में गणेश पूजा में गोल फूल बनाये जाते हैं।

नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान में बाकी चार (दो दो प्रति मंजिल ) खिड़कियों या मोरियों में दो दो उप स्तम्भों से मुख्य सिंगाड़ (स्तम्भ) बनते हैं। सभी उप स्तम्भ आकर को छोड़ खोली के उप सिंगाड़ों (उप स्तम्भों ) के हु बहु प्रतिरूप (Copies ) हैं।

निष्कर्ष निकलता है नैल खनसर ( गैरसैण , चमोली ) गांव में आलम चंद्र का मकान कुछ कुछ कुमाऊं के बखाई जैसे है व मकान में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय (आभास ) अलंकरण हुआ है।

सूचना व फोटो आभार: प्रसिद्ध काष्ठ लोक कलाकार राजेंद्र बडवाल

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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